शिक्षक दिवस

आई सा ‘मस्का-डोमेस्टिका’ इन माय रूम

तिवारी सर हमें हिंदी में अंग्रेजी पढ़ाते, स्थानीय भाषा और मुहावरों का प्रयोग करते। उनका पीरियड शांति और उल्लास के साथ गुजरता।

आई सा ‘मस्का-डोमेस्टिका’ इन माय रूम जारी >

हमने यह कैसा समाज रच डाला है…क्‍यों रच डाला?

आज शिक्षक दिवस है और हमारी बात भी बिना शिक्षा के संदर्भों के पूरी नहीं हो सकती है कि बढ़ती आधुनिकता और भौतिक सुविधाओं के बीच एक मनुष्य के रूप में हम आखिर विकृत क्यों होते जा रहे हैं?

हमने यह कैसा समाज रच डाला है…क्‍यों रच डाला? जारी >