उस दिन यह अहसास हुआ कि जाने वाला कहीं नहीं जाता
आबिदा के सूफी कलाम और पंडित जसराज के राग सुनती हूं तो पिता जीवंत हो जाते हैं। सब कलाकारों, सूफियों, अवधूतों से मेरी पहचान करवाने वाले वही थे।
उस दिन यह अहसास हुआ कि जाने वाला कहीं नहीं जाता जारी >
आबिदा के सूफी कलाम और पंडित जसराज के राग सुनती हूं तो पिता जीवंत हो जाते हैं। सब कलाकारों, सूफियों, अवधूतों से मेरी पहचान करवाने वाले वही थे।
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