भेद मिटाता श्‍मशान! दोगले समाज की तस्‍वीर

काश कि मरघट में हिलौर मारने वाले श्‍मशान वैराग्‍य की तरह यह चिंतन भी तात्‍कालिक न हो, जरा अधिक देर हमारे भीतर उथल-पुथल मचाए। काश!

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जब कवि की उंगली तिलोत्तमा के सामने रुकी रह गई

जैसे ही दो उंगलियां उठीं, वे उठी ही रह गईं। इसके बाद क्या बोलना है, कुछ याद नहीं आया। घबराहट इतनी थी कि न तो कुछ याद आ रहा था और न ही उंगली नीचे हो रही थी।

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77 प्रतिशत दवा निर्माता कर रहे किसी न किसी मानक का उल्लंघन

भारत वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं में नेतृत्व का दावा करता है। अमानक दवा का यह संकट भारत के लिए न केवल आंतरिक बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साख की चुनौती बन गया है।

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शरद पूर्णिमा में रास: हिय प्रेम का ताप उपजावे

वृंदावन के निधिवन में राधा-कृष्ण के महारास की गाथा सुनाई जाती है। मान्यता के अनुसार, निधिवन में रात के समय राधा और कृष्ण महारास के लिए आते है।

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ताक पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश, मौत कैसे रूके?

हिरासत में मौत एक सार्वभौमिक समस्या है और इसे बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के बाद उल्लंघन का सबसे क्रूर रूप माना गया है।

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जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो…

अगर अपनी मंज़िल तक पहुंचना है तो इस संजीदगी के साथ सफ़र तय किया जाए कि किसी को पता न चले और आपकी मंज़िल आपके कदमों में हो।

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पं‍. छन्‍नूलाल मिश्र: गुरु ने कहा था, भीतर-बाहर एक जैसा दिखना…

पंडित छन्नूलाल मिश्र ने जीवन के अंतिम पड़ाव तक न गुरु को विस्‍मृत किया न उनकी शिक्षाओं को। करीब 10 साल पहले कला समीक्षक-पत्रकार विनय उपाध्‍याय ने पंडित छन्‍नूलाल मिश्र से लंबी बात की थी। पुनर्पाठ में उसी साक्षात्‍कार के प्रमुख अंश:

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नेपाल का जेन ज़ी विद्रोह: अगर संविधान को मजबूत कर दे…

केवल सत्ता परिवर्तन या उपद्रव की तीव्रता काफी नहीं; ज़रूरत है कि इस चेतना को संस्थागत रूप देने की।

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