राजरंग जीवन के सबसे असली रंग की जगह का नकलीपन अखरता नहीं है आपको? प्लास्टिक की घास और केमिकल पेंट की महक वाले नकली छोटे मैदानों में न खेल असली हो पाता है और न ही भावनाएं।
मनरंग वाह भइया, पुरौनी का तो डाला ही नहीं! पन्ना से रायपुर जाने को रवाना हुए। सुबह के 11 बज रहे थे और प्राणनाथ का गजर टन्न, टन्न, टन्न बज कर शायद, सुखद सफर का आशीष दे रहा था।
जीवनरंग भरोसा करें या नहीं … अक्सर लगता है वह मदद मांग रहा है, 10-20 रुपए देने से क्या होगा और थोड़ी ज्यादा रकम उसके हवाले कर कसम खाता हूं कि अगली बार धोखा नहीं खाऊंगा।
मनरंग एक बैरियर बनाओ और आने-जाने वालों से टैक्स वसूलो पन्ना में, मैं अपनी उम्र के दस बरस तक रहा पर उसकी यादें आज भी अमिट हैं। पन्ना का पन्ना समेटने से पहले उन्हें याद करना लाजमी है।
अंतिम लीला: खिल उठेगी उम्मीद की दुनिया फिर एक दिन नाटक में मौजूदा संवाद योजना एवं कोमल चेतना प्रमाण है…
दाड़ी पगड़ी वाला कवि जो जादूगर समझा गया… सच में जादूगर था पद्मश्री डॉ. सुरजीत पातर जिन्हें पंजाब के युग कवि पुकारा…
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