एक ही घूंट में दीवाने जहां तक पहुंचे…

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3 thoughts on “एक ही घूंट में दीवाने जहां तक पहुंचे…”

  1. राजेश कुमार द्विवेदी

    वाह! बहुत खूब दशोत्तर जी! नीरज जी की इन पंक्तियों का अत्यंत विस्तृत और सटीक विश्लेषण किया है आपने।
    बहुत बहुत बधाई एवं साधुवाद! इसी से मिलती जुलती उनकी ग़ज़ल की दो पंक्तियां याद आ रही हैं……
    इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में
    तुमको सदियां लग जायेंगी हमें भुलाने में!!🤗🙏🏼

  2. डा् . प्रदीप बी . कोठारी

    वाह आशीष भाई क्या सटीक विश्लेषण किया आपने,
    कबीरदास जी महाराज पहलें ही कह गये हैं कि
    मिलता नहीं है इस लिए अज्ञानीयों को वो
    खुल जाये ज्ञान चक्षु तो वह है मिला मुआ,
    वाह आशीष भाई साधुवाद आपको !

  3. डा.प्रदीप बी कोठारी

    खुल जाये ज्ञान चक्षु तो वह है मिला हुआ !

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