World Photography Day 2024: 19 अगस्त, 1839 को, फ्रांसीसी सरकार ने लुइस डागुएरे द्वारा डग्युरेरोटाइप प्रक्रिया के आविष्कार की घोषणा की, जिसे आधुनकि फोटोग्राफी का पहला चरण माना जाता है। इस प्रक्रिया और तारीख को याद रखने के लिए पहला विश्व फोटोग्राफी दिवस 19 अगस्त, 2010 को आयोजित किया गया था।कला और विज्ञान के महत्व को मान्यता देने के लिए हर साल 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी डे मनाते हैं। फोटोग्राफी के शुरू होने के बाद से ही हमारी अभिव्यक्ति, हमारा होना, हमारे भाव इतने सटीक रूप से दर्ज किए जा रहे है। पल के भी छोटे हिस्से में कैमरे की पलक झपकती है और हमारी जिंदगी का बिंब उतर आता है। फोटोग्राफी एक कला है, जब हम यह कहते हैं तो शायद यह कहना चाहते हैं कि इस कला के पीछे एक व्यक्ति का दर्शन, चिंतन और संवेदनशील मन काम करता है।
आज विश्व फोटोग्राफी दिवस पर हमारे ऐसे ही अग्रजों को उनके कृतित्व के जरिए अभिनंदन। वे फोटोग्राफर जिनकी नजरों से हम दुनिया को पहचानते हैं।
राजधानी भोपाल के पास एक कस्बा है, गंजबासौदा। उस कस्बे में एक कवि रहता है, मणि मोहन, जिसे दुनिया ने पहले ‘कस्बे का कवि’ कह कर संबोधित किया। ‘दुर्दिनों की बारिश में रंग’ दिखला रहा ‘कस्बे का कवि’ इनदिनों ‘पतझर का संगीत’ बुन चुका है। (तीनों के अलावा ‘शायद’, ‘भेड़ियो ने कहा शुभरात्रि’ कवि, फोटोग्राफर, प्रोफसर मणि मोहन के काव्य संग्रह हैं।) वे प्रकृति और परिवेश को जिन साधारण शब्दों से विशिष्ट भाव रूप में उकेर देते हैं उतनी ही दक्षता से कैमरे के जरिए फोटो पर उतार देते हैं। वे एक तरफ रूह को छूती कविताएं रच रहे हैं, खलील जिब्रान, रोमानियाई कवि मारिन सोरेसक्यू और तुर्की कवियत्री मुइसेर येनियाकी आदि की कविताओं का हिन्दी अनुवाद कर विश्व कविता से हमें रूबरू करवा रहे हैं तो फोटो के जरिए प्रकृति से हमारा नाता जरा अधिक गहरा कर रहे हैं। कविताओं की भांति उनके चित्र भी पहली नजर में सहज दिखते हैं और ठहर कर देखो तो कई अर्थों के साथ खुलते हैं।
आइए, आज मणि मोहन जी की दृष्टि से अपनी दुनिया को देखें और समझें।
अपनी कविताओं में मणि मोहन कुछ यूं व्यक्त होते हैं:
महीनों इंतजार किया
जिस बारिश का
जब वह आई
तो भीगने से मना कर दिया सबने
बारिश के खिलाफ
सड़कों पर निकल आये
छाते और रेनकोट
पानी से बचने के लिए
दुकानों के अहातों
और दरख़्तों के नीचे
ठिठक कर खड़े हो गए
मिट्टी के लोग।
/पानी/
जितनी जरूरत थी
दरख़्तों ने
उतना ही लिया पानी
परिंदों ने भी प्यार से
उतना ही पिया पानी
किसी ने नहीं तोड़ा भरोसा
धरती और आसमान का
सिवा हमारे …
आपने फोटोग्राफ में वे इस तरह प्रकृति को हमारे सामने खोलते हैं:
शुक्रिया…. आभार 🥰
इतनी सुंदर तस्वीरें हैं कि इन्हें बार बार देखते रहा जाए