काव्य: कविता रेखांकन : वत्सल विभोर राय
अ से आया अमरूद प्यारा
आ का भी है आम दुलारा
इ से इमली निकली खट्टी
ई ने ईख से बना ली बट्टी
उ के उल्लू ने बनाया ऊन
एड़ी, ऐनक चली अब दून
ओ भी बोली औ भी दौड़ी
अं, अ: की खूब है जोड़ी
चलो भई चलो कुछ पढ़ें लिखें
बड़े चलें भई बड़े चलें।