काव्य: कविता
रेखांकन : वत्सल विभोर राय
राई का पहाड़
राई का पहाड़
छोटी सी एक बात पर
मारे दहाड़
जरा जरा सी हरकत पर
शोर खूब मचाता है
लेना ज्यादा देना थोड़ा
ऐसे ही अड़ जाता है
बहुत बताया और समझाया
मुन्ने ये तो समझो यार
राई के पहाड़ पर बैठ के कैसे
देखोगे तुम फिर उस पार
धीर धरो और मौज करो
प्यारे यूं ना क्रोध करो
छोटी बातें बड़ी करो तो
बड़ी सोच छोटी होती
छोटी मोटी चीजों से ना
मिलते खुशियों के मोती
छोटू दिल को बड़ा करो
मैदान में फौजी खड़ा करो
ले लो सारी राई पहाड़ से
मैदानों में फैला दो
आएगी फसल लहलहाएगी
खुश होंगे फूल, कलियां मुस्कुराएंगी।