कड़ाके की सर्दी में भी हाफ टी शर्ट, आखिर क्यों नहीं लगती है इन्हें ठंड?

हाइपोथैलेमस हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। यह हमारे मस्तिष्क का एक छोटा सा हिस्सा है, जो तंत्रिका तंत्र और हार्मोन के बीच संचार बनाए रखता है। शरीर की धड़कन, तापमान, भूख-प्यास, हमारा मूड सब यहीं से तय होता है।

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यह ठंड है, हल्‍के में बिल्‍कुल मत लीजिए, जान ले लेगी…

सर्दियां कई तरह के उत्सव की सबब होती हैं। मगर आजकल सर्दियां किसी मुसीबत से कम नहीं। इसका कारण कुछ हमारी लापरवाही और इससे उपजी स्वास्थगत समस्याएं हैं। यदि आपको डायबिटीज है, आपको हाई बीपी या हार्ट व पाचन से जुड़ी कोई समस्या है, आप की उम्र ज्यादा है या बच्चे हैं, सलाह यही है कि ठंड को हल्के में न लीजिए। यह जानलेवा हो सकती है। जितनी जल्दी यह बात समझ ली जाए उतना अच्छा।

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यादें 2024: जमानत पर बदला न्याय का तरीका

जुलाई 24 से लेकर अब तक सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आरोपी लोगों की एक बड़ी संख्या को जमानत दी है या उनकी जमानत की पुष्टि की है। इन फैसलों से परिप्रेक्ष्य में बदलाव का स्पष्ट संकेत मिलता है।

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अलविदा उस्‍ताद… जिंदगी के फ्रेम में संगीत के सरताज

साल 2024 ने जाते-जाते यही एक बुरी खबर दी है। मशहूर तबला वादक ज़ाक‍िर हुसैन हमारे बीच नहीं रहे हैं। तबले पर थिरकी उनकी उंगल‍ियों ने जो जादूगरी रची है वह हमेशा हमारे द‍िलों में रहेगी।

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कैंसर के इलाज पर सिद्धू की बातें कितनी सच्ची?

पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा पिछले दिनों यह दावा करने के बाद विवाद उठ खड़ा हुआ है कि उनकी पत्नी, पूर्व विधायक नवजोत कौर सिद्धू कैंसर फ्री हो चुकी हैं। इस दावे और विरोध के आधार की पड़ताल करता है यह आलेख।

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आपको भी मीठी बीमारी हो गई और पता ही नहीं चला…

किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने से पहले व्यक्तियों को यातना देना उनके अधिकार का उल्लंघन है। यह न्याय प्रणाली की जिम्मेदारी है कि वह अपराध या बेगुनाही का निर्धारण करे, न कि यातना के माध्यम से सजा दे।

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हिरासत में मौत पर अ‍ब भी सिस्‍टम इतना बेपरवाह

किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने से पहले व्यक्तियों को यातना देना उनके अधिकार का उल्लंघन है। यह न्याय प्रणाली की जिम्मेदारी है कि वह अपराध या बेगुनाही का निर्धारण करे, न कि यातना के माध्यम से सजा दे।

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मौत के बाद भी प्रजनन का अधिकार: क्‍या हम तैयार हैं?

दिल्‍ली हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्‍तुत एक याचिका ने मृत्‍यु उपरांत संतान उत्पन्न करने के कानूनी और नैतिक पहलुओं सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है। 84 पन्नों के इस फैसले को जानना अहम् है।

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तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था और सबसे ज्यादा कुपोषण

विश्व बैंक ने कुपोषण की तुलना ब्लेक डेथ नामक महामारी से की है जिसने 18 वीं सदीं में यूरोप की जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को निगल लिया था।

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