नफरत की आठ कहानियों का भावार्थ क्या?
ये आठ नाम भले ही अलग-अलग शहरों से जुड़े हों, लेकिन इनकी कहानियां एक ही स्याह सच को बयां करती हैं, और वो हैं- लालच, धोखा और खून से सनी साजिशें।
नफरत की आठ कहानियों का भावार्थ क्या? जारी >
ये आठ नाम भले ही अलग-अलग शहरों से जुड़े हों, लेकिन इनकी कहानियां एक ही स्याह सच को बयां करती हैं, और वो हैं- लालच, धोखा और खून से सनी साजिशें।
नफरत की आठ कहानियों का भावार्थ क्या? जारी >
हिमाचल प्रदेश के शिलाई गांव के प्रदीप और कपिल नेगी भाइयों की शादी चर्चा में है। इन भाइयों ने एक ही महिला से विवाह किया है। अपनी पसंद और परंपरा का जश्न मनाते हुए तीन-दिवसीय समारोह भी आयोजित किया गया।
जमीन का बँटवारा रोकने का उपाय, दो भाइयों की एक पत्नी जारी >
हमें समाज को यह बताने की जरूरत है कि अगर न्यायाधीशों को न्यायाधीशों की नियुक्ति करनी होती तो सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सभी सिफारिशों पर कार्रवाई की जाती। लेकिन ऐसा नहीं होता है।
जजों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र में टकराव के मायने जारी >
कल्पित का कृत्य महज नशे में की गई ‘चूक’ नहीं, बल्कि उनकी उस मानसिक संरचना का प्रतिशोध है जिसमें स्त्री उनके लिए अब कोई प्रेरणा नहीं, बल्कि प्रतिरोध बन चुकी थी।
डगमगाते कवियों का क्या? जारी >
पिछले दशकों में, कई प्रमुख राजनेताओं को तांत्रिकों और काला जादू से जुड़े होने के दावे सामने आए हैं। ताजा मामला महाराष्ट्र का है जहाँ तंत्र-मंत्र को लेकर एक गुप्त अनुष्ठान की कानाफूसी जारी है।
राजनीति में तंत्र-मंत्र और काले जादू की सत्ता जारी >
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति को भयभीत करने से आरोपी भारतीय दंड संहिता की धारा 387 के तहत अपराध का दोषी हो जाएगा; इसके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 383 के तहत जबरन वसूली के सभी तत्वों को पूरा करना आवश्यक नहीं है।
किसी व्यक्ति को डराना आईपीसी की धारा 387 के तहत अपराध जारी >
एक मां ने अपनी बेटियों की हत्या की और अदृश्य प्रभाव का दावा किया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सजा कम की, मानसिक अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए, लेकिन यह विवादास्पद और जटिल है।
क्या अदृश्य शक्ति के प्रभाव में कोई अपने बच्चों की हत्या कर सकता है! जारी >
जेन एआई अर्थात् जनरेटिव एआई को एक सभ्यतागत परिवर्तन के हेतु के रूप में देखना सचमुच सिर्फ एक कॉरपोरेट आकलन नहीं है।
हम एआई से डरते हैं क्योंकि वह मुनष्य न हो कर भी निर्णय ले सकता है… जारी >
राष्ट्र युद्ध की कगार बैठा था। शांति कायम करने के प्रयत्न परवान चढ़ रहे थे। मगर दुर्भाग्य से समाचार एजेंसी के अनुवादकों ने प्रधानमंत्री के वक्तव्य में एक शब्द का गलत अंग्रेजी अनुवाद कर दिया। इस गलती ने विश्व को ऐतिहासिक त्रासदी दे दी। अचरज तो इस पर भी है कि सब कुछ खोने की कगार पर बैठे राष्ट्र के नियंताओं ने उस शब्द की गलती सुधारने पर ध्यान क्यों नहीं दिया?
समाचार एजेंसी ने किया एक शब्द का गलत अनुवाद और हुआ सर्वनाश जारी >
जर्मनी के उदाहरण में भी, जो बुद्धिजीवी नाज़ियों के साथ ‘समझौता’ करते रहे, वे अंततः उसी व्यवस्था के शिकार हुए। इसलिए, वैचारिक स्वतंत्रता और जनसंघर्ष दोनों साथ-साथ चलने चाहिए।
साथ-साथ चलने चाहिए वैचारिक स्वतंत्रता और जनसंघर्ष जारी >