मेंटल हेल्थ: थोड़ा रवैया बदलें, ज्यादा आर्थिक ताकत दें
एक मनोचिकित्सक के रूप में मेरा मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट बढ़ाना अति आवश्यक है, ताकि इसे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के रूप में देखा जा सके और सभी तक पहुंच सुनिश्चित हो।
एक मनोचिकित्सक के रूप में मेरा मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट बढ़ाना अति आवश्यक है, ताकि इसे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के रूप में देखा जा सके और सभी तक पहुंच सुनिश्चित हो।
अक्सर जब परिणाम आते हैं तो एग्जिट पोल औंधे मुंह गिरे होते हैं। चूक वहीं होती है जब एग्जिट पोल को परिणाम का ट्रेलर मान लिया जाता है।
आज इस घटना का जिक्र इसलिए क्योंकि हिंदी दिवस का दिन इस बात के लिए एकदम उपयुक्त है कि हम अनुवादकों की दिक्कतों, उनके काम अहमियत नहीं दिए जाने, उनको असम्मानजनक भुगतान किए जाने जैसे मुद्दों पर भी बात करें।
ये सारी बातें एक खीझे हुए क्षुब्ध मन का शिकायती एकालाप सी लग सकती हैं। परंतु कहना पड़ रहा है क्योंकि इतने सब के बाद जब सिस्टम के साथ-साथ समाज भी सवालिया निगाहों से देखता है तो एक शिक्षक का मन आहत होता है।
सबकुछ विनेश के खिलाफ था लेकिन वह किसी चमत्कार की उम्मीद में वजन कक्ष में पहुंचीं। वहां कोई चमत्कार नहीं हुआ और उनका वजन 100 ग्राम अधिक निकला।
हेमा कमेटी की रिपोर्ट ने उजागर कर दिया है कि पूर्ण साक्षर राज्य केरल फिल्म इंडस्ट्री के क्षेत्र में पूरी तरह पितृसत्तात्मक व्यवस्था के चंगुल में है।
आज़ादी कोई एक बार मिलकर अनंतकाल तक चलने वाली चीज नहीं है। एक नागरिक के रूप में यह हमारी निरंतर यात्रा है।
हमारा वजन कभी भी स्थिर नहीं होता और वह थोड़ा-बहुत हमेशा बदलता रहता। शरीर में पानी के घटने-बढ़ने से वजन भी घटता-बढ़ता रहता है।
हमारे देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा का एक क्रूर रूप है महिलाओं का लापता हो जाना। अफसोस की बात है ये महिलाओं और किशोरियों की आर्थिक स्थिति, शैक्षिक स्थिति, सामाजिक और यहां तक कि राजनीतिक स्थिति से भी जुड़ी है।
यह तस्वीर मध्य प्रदेश के देवास की है। ये रोते हुए व्यक्ति देवास शहर के बाहरी क्षेत्र स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय संजयनगर के प्रभारी प्रधानाध्यापक तिलकराज सेम हैं। स्कूल में रोते हुए बच्चों के बारे में तो सुना, देखा था लेकिन आखिर ऐसी क्या बात हुई कि प्राचार्य ही रोने लगे।