हेडलाइन

तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था और सबसे ज्यादा कुपोषण

विश्व बैंक ने कुपोषण की तुलना ब्लेक डेथ नामक महामारी से की है जिसने 18 वीं सदीं में यूरोप की जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को निगल लिया था।

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मेंटल हेल्‍थ: थोड़ा रवैया बदलें, ज्‍यादा आर्थिक ताकत दें

एक मनोचिकित्सक के रूप में मेरा मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट बढ़ाना अति आवश्यक है, ताकि इसे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के रूप में देखा जा सके और सभी तक पहुंच सुनिश्चित हो।

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यह एग्जिट पोल तो हमें बीमार कर रहा है…

अक्‍सर जब परिणाम आते हैं तो एग्जिट पोल औंधे मुंह गिरे होते हैं। चूक वहीं होती है जब एग्जिट पोल को परिणाम का ट्रेलर मान लिया जाता है।

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यह खाली समय में किया जाने वाला काम नहीं है…

आज इस घटना का जिक्र इसलिए क्योंकि हिंदी दिवस का दिन इस बात के लिए एकदम उपयुक्त है कि हम अनुवादकों की दिक्कतों, उनके काम अहमियत नहीं दिए जाने, उनको असम्मानजनक भुगतान किए जाने जैसे मुद्दों पर भी बात करें।

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तुम पकौड़े तलना सीखो के दौर में श्रद्धा निधि

ये सारी बातें एक खीझे हुए क्षुब्ध मन का शिकायती एकालाप सी लग सकती हैं। परंतु कहना पड़ रहा है क्योंकि इतने सब के बाद जब सिस्टम के साथ-साथ समाज भी सवालिया निगाहों से देखता है तो एक शिक्षक का मन आहत होता है।

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आखिर, उस रात विनेश फोगाट के साथ हुआ क्या था?

सबकुछ विनेश के खिलाफ था लेकिन वह किसी चमत्कार की उम्मीद में वजन कक्ष में पहुंचीं। वहां कोई चमत्कार नहीं हुआ और उनका वजन 100 ग्राम अधिक निकला।

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किसे बचाने के लिए चार साल छिपाए रखी रिपोर्ट?

हेमा कमेटी की रिपोर्ट ने उजागर कर दिया है कि पूर्ण साक्षर राज्य केरल फिल्म इंडस्ट्री के क्षेत्र में पूरी तरह पितृसत्तात्मक व्यवस्था के चंगुल में है।

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यह मत कहो, मुझे विषय दो, यह कहो कि मुझे आंखें दो

आज़ादी कोई एक बार मिलकर अनंतकाल तक चलने वाली चीज नहीं है। एक नागरिक के रूप में यह हमारी निरंतर यात्रा है।

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कहां गई होगी, क्यों गई होगी, उसका क्या हुआ होगा?

हमारे देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा का एक क्रूर रूप है महिलाओं का लापता हो जाना। अफसोस की बात है ये महिलाओं और किशोरियों की आर्थिक स्थिति, शैक्षिक स्थिति, सामाजिक और यहां तक कि राजनीतिक स्थिति से भी जुड़ी है।

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