जीवनरंग

गुरुजी…कोमल गौरैया कुंज में श्‍वान की आक्रामकता

मैं गुरुजी के रचना संसार में खोया था। तभी एक सवाल से मेरी तंद्रा टूटी। उप्‍पल सर ने मुझसे पूछा कि क्‍या आप कभी गुरुजी से मिले हैं?

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एक थे विषपायी जी…ऐसे कुछ लोग ही मिले

विषपायी जी ने कबीर की तरह जीवन जिया। उनके पत्र और साहित्‍य लेखन का इतना प्रभाव रहा है कि उनके निधन पर प्रख्‍यात कहानीकार-संपादक राजेद्र यादव ने ‘हंस’ के संपादकीय के एक कालम में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी।

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सौ साल के गुरुदत्‍त: क्‍या 500 रुपए के फेर में गई जान

हम गुरुदत्‍त को उनकी फिल्‍मों से जानते हैं। ‘प्‍यासा’, ‘साहब, बीबी और गुलाम’, ‘कागज के फूल’ ‘चौदहवीं का चांद’, ‘बाजी’ जैसी फिल्‍में उनका परिचय हैं। इन फिल्‍मों के गीतों, ट्रीटमेंट और पर्दे पर उभरी श्रेष्‍ठता आज भी फिल्‍म प्रेमियों को हतप्रभ करती है।

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एक कवि की उपस्थिति में उगता है नववर्ष का पहला सूर्य!

मेरा कहने का अर्थ है कि क्या आपका संस्थान लोगों को नौकरी देते वक्त या आप अपनी टीम चुनते वक्त यह ध्यान में रखते हैं कि उसमें समाज के सभी तबकों-जातियों और वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व हो सके?

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धरती की धड़कनें सुनने के लिए, बीज होना होता है… हवा में बहना होता है

गुरुडोंगमर की चुप्पी और कन्याकुमारी की गर्जना- दोनों एक ही संगीत के स्वर। जीवन इस संगीत में बहता है, हर कण में, हर तरंग में। पत्थर रेत बनते हैं, सागर शीतलता बुनता है, और यह लय हमें अपने भीतर समेट लेती है।

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केवल अनुभव किया जा सकता था,आस्था का महासागर था वह

रास्ते भर मन कल्पनाओं में तैरता रहा, गंगा का दिव्य स्वरूप, साधु-संतों के अखाड़े, मंत्रों की गूंज और असंख्य दीपों से प्रकाशित वह पावन धरा। जब प्रयागराज पहुंचे, तो लगा जैसे समय की सीमाएं विलीन हो गई हों। वहां जो दृश्य था, वह केवल आँखों से देखा नहीं जा सकता था, बल्कि उसे अनुभव किया जाना था, वह आस्था का महासागर था, जहां हर लहर श्रद्धा की एक नई कहानी कह रही थी।

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शिव-पार्वती: तूफानों में स्थिर दाम्‍पत्य, भारतीय लोकमानस का आस्‍था केंद्र

यदि हमें प्रेम और पारिवारिक संबंधों को नए सिरे से समझना है, तो हमें शिव को देखना होगा- जहाँ प्रेम और आदर्श एक-दूसरे के विरोध में नहीं, बल्कि एक-दूसरे में विलीन हो जाते हैं।

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संवेदना, साथ और साहस: दो ट्रांस वुमन की प्रेम कथा

ट्रांसजेंडर की जिंदगी भी कुछ ऐसी ही होती है। जन्म से शुरू होने वाली चुनौतियां कभी खत्म नहीं होती। उनका जज्बा जिंदगी को जीता भी है, जहर भी पीता है लेकिन वे उस दुनिया में सब कुछ भूल जाते है जहां सिर्फ वे और उनका हम सफर होता है,

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नया साल तो आ गया, आपने क्‍या प्‍लान किया?

आइए, बात करते हैं 2025 के लिए कुछ ऐसे ही संकल्पों की जो एक व्यक्ति, परिवार के सदस्य और सामाजिक रूप से भी हमें बेहतर मनुष्य बना सकें।

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