शरद पूर्णिमा में रास: हिय प्रेम का ताप उपजावे
वृंदावन के निधिवन में राधा-कृष्ण के महारास की गाथा सुनाई जाती है। मान्यता के अनुसार, निधिवन में रात के समय राधा और कृष्ण महारास के लिए आते है।
शरद पूर्णिमा में रास: हिय प्रेम का ताप उपजावे जारी >
वृंदावन के निधिवन में राधा-कृष्ण के महारास की गाथा सुनाई जाती है। मान्यता के अनुसार, निधिवन में रात के समय राधा और कृष्ण महारास के लिए आते है।
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हम गुरुदत्त को उनकी फिल्मों से जानते हैं। ‘प्यासा’, ‘साहब, बीबी और गुलाम’, ‘कागज के फूल’ ‘चौदहवीं का चांद’, ‘बाजी’ जैसी फिल्में उनका परिचय हैं। इन फिल्मों के गीतों, ट्रीटमेंट और पर्दे पर उभरी श्रेष्ठता आज भी फिल्म प्रेमियों को हतप्रभ करती है।
सौ साल के गुरुदत्त: क्या 500 रुपए के फेर में गई जान जारी >
मेरा कहने का अर्थ है कि क्या आपका संस्थान लोगों को नौकरी देते वक्त या आप अपनी टीम चुनते वक्त यह ध्यान में रखते हैं कि उसमें समाज के सभी तबकों-जातियों और वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व हो सके?
एक कवि की उपस्थिति में उगता है नववर्ष का पहला सूर्य! जारी >
गुरुडोंगमर की चुप्पी और कन्याकुमारी की गर्जना- दोनों एक ही संगीत के स्वर। जीवन इस संगीत में बहता है, हर कण में, हर तरंग में। पत्थर रेत बनते हैं, सागर शीतलता बुनता है, और यह लय हमें अपने भीतर समेट लेती है।
धरती की धड़कनें सुनने के लिए, बीज होना होता है… हवा में बहना होता है जारी >
रास्ते भर मन कल्पनाओं में तैरता रहा, गंगा का दिव्य स्वरूप, साधु-संतों के अखाड़े, मंत्रों की गूंज और असंख्य दीपों से प्रकाशित वह पावन धरा। जब प्रयागराज पहुंचे, तो लगा जैसे समय की सीमाएं विलीन हो गई हों। वहां जो दृश्य था, वह केवल आँखों से देखा नहीं जा सकता था, बल्कि उसे अनुभव किया जाना था, वह आस्था का महासागर था, जहां हर लहर श्रद्धा की एक नई कहानी कह रही थी।
केवल अनुभव किया जा सकता था,आस्था का महासागर था वह जारी >
यदि हमें प्रेम और पारिवारिक संबंधों को नए सिरे से समझना है, तो हमें शिव को देखना होगा- जहाँ प्रेम और आदर्श एक-दूसरे के विरोध में नहीं, बल्कि एक-दूसरे में विलीन हो जाते हैं।
शिव-पार्वती: तूफानों में स्थिर दाम्पत्य, भारतीय लोकमानस का आस्था केंद्र जारी >
ट्रांसजेंडर की जिंदगी भी कुछ ऐसी ही होती है। जन्म से शुरू होने वाली चुनौतियां कभी खत्म नहीं होती। उनका जज्बा जिंदगी को जीता भी है, जहर भी पीता है लेकिन वे उस दुनिया में सब कुछ भूल जाते है जहां सिर्फ वे और उनका हम सफर होता है,
संवेदना, साथ और साहस: दो ट्रांस वुमन की प्रेम कथा जारी >
आइए, बात करते हैं 2025 के लिए कुछ ऐसे ही संकल्पों की जो एक व्यक्ति, परिवार के सदस्य और सामाजिक रूप से भी हमें बेहतर मनुष्य बना सकें।
नया साल तो आ गया, आपने क्या प्लान किया? जारी >
उम्मीद करें कि नए वर्ष में आप भवानी प्रसाद मिश्र की कविता ‘कुछ लिखकर सो, कुछ पढ़कर सो, जिस जगह सवेरे जागा तू, उससे कुछ आगे बढ़कर सो’ के अंदाज में हर दिन जीते रहें।
2025 में यूं अपने आप तो कुछ भी नहीं बदलेगा जारी >
देश में तबला के कई दर्जन गुणी कलाकार हुए हैं, सब एक से बढ़कर एक…लेकिन सब छात्रों की सूई आकर आपके पास ही अटक जाती…यार ये वाला बोल। कभी जाकिर जी को सुने हो…! क्या अद्भुत बजाया है।
ऐसा वक्त जब उस्ताद ने लगा दी गलत तिहाई जारी >