जीवनरंग

केवल अनुभव किया जा सकता था,आस्था का महासागर था वह

रास्ते भर मन कल्पनाओं में तैरता रहा, गंगा का दिव्य स्वरूप, साधु-संतों के अखाड़े, मंत्रों की गूंज और असंख्य दीपों से प्रकाशित वह पावन धरा। जब प्रयागराज पहुंचे, तो लगा जैसे समय की सीमाएं विलीन हो गई हों। वहां जो दृश्य था, वह केवल आँखों से देखा नहीं जा सकता था, बल्कि उसे अनुभव किया जाना था, वह आस्था का महासागर था, जहां हर लहर श्रद्धा की एक नई कहानी कह रही थी।

केवल अनुभव किया जा सकता था,आस्था का महासागर था वह जारी >

शिव-पार्वती: तूफानों में स्थिर दाम्‍पत्य, भारतीय लोकमानस का आस्‍था केंद्र

यदि हमें प्रेम और पारिवारिक संबंधों को नए सिरे से समझना है, तो हमें शिव को देखना होगा- जहाँ प्रेम और आदर्श एक-दूसरे के विरोध में नहीं, बल्कि एक-दूसरे में विलीन हो जाते हैं।

शिव-पार्वती: तूफानों में स्थिर दाम्‍पत्य, भारतीय लोकमानस का आस्‍था केंद्र जारी >

संवेदना, साथ और साहस: दो ट्रांस वुमन की प्रेम कथा

ट्रांसजेंडर की जिंदगी भी कुछ ऐसी ही होती है। जन्म से शुरू होने वाली चुनौतियां कभी खत्म नहीं होती। उनका जज्बा जिंदगी को जीता भी है, जहर भी पीता है लेकिन वे उस दुनिया में सब कुछ भूल जाते है जहां सिर्फ वे और उनका हम सफर होता है,

संवेदना, साथ और साहस: दो ट्रांस वुमन की प्रेम कथा जारी >

नया साल तो आ गया, आपने क्‍या प्‍लान किया?

आइए, बात करते हैं 2025 के लिए कुछ ऐसे ही संकल्पों की जो एक व्यक्ति, परिवार के सदस्य और सामाजिक रूप से भी हमें बेहतर मनुष्य बना सकें।

नया साल तो आ गया, आपने क्‍या प्‍लान किया? जारी >

2025 में यूं अपने आप तो कुछ भी नहीं बदलेगा

उम्‍मीद करें कि नए वर्ष में आप भवानी प्रसाद मिश्र की कविता ‘कुछ लिखकर सो, कुछ पढ़कर सो, जिस जगह सवेरे जागा तू, उससे कुछ आगे बढ़कर सो’ के अंदाज में हर दिन जीते रहें।

2025 में यूं अपने आप तो कुछ भी नहीं बदलेगा जारी >

ऐसा वक्‍त जब उस्‍ताद ने लगा दी गलत तिहाई

देश में तबला के कई दर्जन गुणी कलाकार हुए हैं, सब एक से बढ़कर एक…लेकिन सब छात्रों की सूई आकर आपके पास ही अटक जाती…यार ये वाला बोल। कभी जाकिर जी को सुने हो…! क्या अद्भुत बजाया है।

ऐसा वक्‍त जब उस्‍ताद ने लगा दी गलत तिहाई जारी >

बचपन को किताबों से जोड़ें क्योंकि किताबें बहुत कुछ कहना चाहती हैं

किताबें बच्चों को असली दुनिया का तर्जुबा देती हैं। उन्हें आगे चलकर जिन चीजों से निपटना है उनका अनुभव वे किताबें पढ़कर पहले ही पा सकते हैं।

बचपन को किताबों से जोड़ें क्योंकि किताबें बहुत कुछ कहना चाहती हैं जारी >

हमारे अनिल यादव जी …

मेरे जीवन अब बारी थी चलन के मुताबिक ‘गंगा नहाने’ की। लेकिन कौन सी गंगा में,कैसे नहाना है यह मुझे ही तय करना था। मैं एक खास काम करना चाहता था और यही मेरा गंगा स्नान था।

हमारे अनिल यादव जी … जारी >

डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’: भारतीय विद्या का अद्वितीय साधक

डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ का व्यक्तित्व एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाता है कि ज्ञान की खोज और उसके प्रचार-प्रसार में समर्पण और निष्ठा का महत्व कितना बड़ा होता है।

डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’: भारतीय विद्या का अद्वितीय साधक जारी >

हमने यह कैसा समाज रच डाला है…क्‍यों रच डाला?

आज शिक्षक दिवस है और हमारी बात भी बिना शिक्षा के संदर्भों के पूरी नहीं हो सकती है कि बढ़ती आधुनिकता और भौतिक सुविधाओं के बीच एक मनुष्य के रूप में हम आखिर विकृत क्यों होते जा रहे हैं?

हमने यह कैसा समाज रच डाला है…क्‍यों रच डाला? जारी >