जम गए, जाम हुए, फंस गए; अपने ही कीचड़ में धंस गए

अपने समय में साहित्य जगत में गंभीर दस्तक के बावजूद मुक्तिबोध सही मायनों में वह पहचान हासिल नहीं कर सके थे जिसके वह हकदार थे। उनके निधन के तत्काल बाद उनकी ख्याति का ऐसा बवंडर उठा जिसने सारे हिंदी साहित्याकाश को ढंक लिया।

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शैलेंद्र: तेरी चाहत का दिलबर बयां क्या करूं?

आज गीतकार शैलेंद्र की जयंती है। आज का दिन शैलेंद्र और रेणु की दोस्‍ती को याद करने का भी दिन है। शैलेंद्र के गीत को गुनगुनाते हुए अपने दोस्‍तों को याद करने का दिन।

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आपकी हँसी इस देश की संपदा है, आप यूं ही हँसती रहें…

यह बात सरलादेवी चौधरानी ने अपनी आत्मकथा में लिखी है कि गांधी ने उनको ऐसा कहा। पर कहां पर कहा, यह मेरी कल्पना है। मेरा ऐसा कोई अजेंडा नहीं था कि गांधी की मूर्ति को ध्वस्त किया जाए या कि उस रिश्ते को एक सनसनीखेज रिश्ते के तौर पर पेश किया जाए।

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सोशल मीडिया के युग में नेरुदा से क्या सीख सकते हैं?

नेरुदा और उनके जैसे ही अन्य लोगों से हम सीख सकते हैं कि खुद को अभिव्यक्त करने का तरीका और सुनना किसी भी प्रतिरोध के मुख्य घटक हैं।

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अंतिम लीला: खिल उठेगी उम्मीद की दुनिया फिर एक दिन

नाटक में मौजूदा संवाद योजना एवं कोमल चेतना प्रमाण है कि चारों ओर तम के बादल होने पर भी अगर भीतर रौशनाई है तो तिमिर हावी न होगा। सध जाएगा काल चक्र और खिल उठेगी उम्मीद की दुनिया फिर एक दिन।

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मैं क्यों लिखता हूं? शायद इसलिए कि…

जीवन में मुझे अपने भाई का स्थान देने वाली वह बहन, अस्पताल में पड़ा वह नौजवान, जिसके मन में मृत्युशय्या पर भी मेरी पुस्तक पढ़ने की याद जगती है; बस में मिलने वाला वह किसान, जिसे इस बात पर हँसी आ जाती है कि मैं इतनी अच्छी किताब, लिख कैसे लेता हूं, जिसे पढ़कर उसकी स्त्री और लड़की दोनों खुश हों तथा किराये की साइकिल की दुकान चलाने वाला वह गरीब लड़का, जो मुझसे इसलिए अपनी साइकिल का किराया नहीं लेना चाहता कि मैं उसका प्रिय लेखक हूं- क्या इन सबका यह असीम स्नेह; मेरी पुस्तक की पर्याप्त रायल्टी नहीं है?

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दाड़ी पगड़ी वाला कवि जो जादूगर समझा गया… सच में जादूगर था

पद्मश्री डॉ. सुरजीत पातर जिन्‍हें पंजाब के युग कवि पुकारा गया और जिन्‍हें शब्दों का समर्थ कवि की संज्ञा दी गई। उनकी कविताएं भले ही पंजाबी में लिखी गईं लेकिन उनमें सारे जहान की अनुभूति समाहित है और इसी कारण कविताएं अनुवाद के रूप में पंजाब, भारत का दायरा लांघ कर पूरे विश्व में पहुंची हैं।

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