कलारंग

‘रास्ते पर चलना’ जीवन में भटक जाने का पर्याय था…

ये कविताएं प्रेम के होने का उत्‍सव है। ‘होना’ यानी अस्तित्‍व। अपने अस्तित्‍व को पहचान से उपजी अभिव्‍यक्ति।

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एक था जाँस्कर: भारत की प्राचीनतम बसाहट की अनूठी गाथा

अजय सोडानी का नवीनतम यात्रा वृतांत “एक था जाँस्कर: सुवरण खुदैया चिऊँटो का देश” वस्तुतः एक ऐसी त्रासदी की गाथा है, जिस त्रासदी से बचा जा सकता था।

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किशोरों के माता-पिता के लिए जरूर देखने वाली सीरीज

चारों एपिसोड एक अपराध से जुड़े अलग अलग आयामों पर केंद्रित हैं जिनमें इंवेस्टिगेशन के दौरान कुछ बेहद भावुक और सुकूनदायक सीन आते हैं जो शीतल हवा के झोंकों सा अहसास देते हैं।

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चीजों को होने देने के इंतजार का धैर्य और उन पर खामोश नजर

पारिवारिक रिश्तों के इतर हमारे आस-पास इतने प्यारे रिश्ते होते हैं और वे जीवन के नाजुक मोड़ पर कैसे आपको संभाल सकते हैं यह देखना सुखद है।

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जो कुछ आया सम्मुख सब उपमान तुम्हारे नाम किए…

आधुनिक हिंदी कवियों ने राजनीतिक, सामाजिक मुद्दों के साथ यथार्थ को अपनी कविताओं में रेखांकित किया है। वहीं आशीष कुमार शर्मा ‘भारद’ की रचनाओं में हमें छायावाद की विशेषताओं की झलक मिलती है।

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नीलकांत जी एक व्यक्ति नहीं, एक सतत विचार थे

प्रख्यात जनवादी कथाकार-आलोचक नीलकांत का 14 जून 2025 की सुबह 90 साल की उम्र में निधन हो गया है। वे उस पीढ़ी के कथाकार और आलोचक थे जिनके लिए विचारधारा के विशेष मायने थे।

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हास्य चूड़ामणि: हमारी उम्मीदों से भी कई कदम आगे विहान

कहने को यह हास्य नाटक था पर अपनी प्रस्तुति में ऐसी शिक्षाएँ और संकेत लिए था जिससे जनसमाज सचेत हो सके।

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ओवरथिंकिंग से आजादी: मन के पर्यावरण की फिक्र कितनी?

आज विश्व पर्यावरण दिवस है। संयुक्त राष्ट्र ने तीन पर्यावरणीय मुद्दों को समूचे विश्व के लिए चिंता का विषय बताया है। “ट्रिपल प्लेनेटरी क्राइसिस” यानी जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता की हानि हम सबके फिक्र का केंद्र होना चाहिए। जहां बाहरी पर्यावरणीय अंसतुलन हमारे भीतर असर डाल रहा है वैसे ही हमारे मन का पर्यावरणीय असंतुलन हमारे पूरे जीवन को प्रभावित कर रहा है। विश्व पर्यावरण दिवस पर मन के पर्यावरण की सुध लेने को सचेत करता हुआ यह आलेख।

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