आपको यह फिल्म तो देखनी ही चाहिए
यह एक बहुत ही प्यार से बनायी गयी फिल्म है जो हमें प्यार, दोस्ती और मासूमियत का जश्न मनाने का मौका देती है। यह हमें हमारे ही बनाये गये ‘हम बनाम वे’ के दायरे से बाहर ले जाती है।
यह एक बहुत ही प्यार से बनायी गयी फिल्म है जो हमें प्यार, दोस्ती और मासूमियत का जश्न मनाने का मौका देती है। यह हमें हमारे ही बनाये गये ‘हम बनाम वे’ के दायरे से बाहर ले जाती है।
रक्तगर्भा की चाह में जलता रहा मन/शेष सभी रंगों से आगे जा चुकी है/जीवन नौका।
आज के नेताओं का ध्येय एक ही है, किसी तरह सत्ता बनी रहनी चाहिए, विचार की सत्ता जाए तो जाए। अगर आज के ऐसे नेताओं को दादा माखनलाल चतुर्वेदी का एक अनुभव बताएं तो देखना दिलचस्प होगा कि वे आंखें चुराते हैं या मोटी चमड़ी का प्रदर्शन करते हैं।
होली और रंग एक दूसरे के पर्याय हैं। रंग उल्लास के प्रतीक भी हैं और रंग हमारी भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम भी। हर रंग कुछ कहता है, क्योंकि हम हर रंग में एक अलग रंगत पाते हैं। बल्कि यूं कहिए, हर रंग की हर समय एक अलग रंगत होती है। यह रंगत हमारे मन के रंग पर निर्भर करती है। जानिए, प्रख्यात कवि एकांत श्रीवास्तव की कलम से जानिए कि हर रंग क्या कहता है।
होली मूलतः रंगों का त्यौहार है। वृंदावन के श्रीधाम गोदा विहार मंदिर स्थित ब्रज संस्कृति शोध संस्थान में कई ऐसी दुर्लभ पाण्डुलिपि भी संग्रहित हैं जिनमें होली के अवसर पर गाये जाने वाले विभिन्न ब्रजभाषा पद संकलित हैंI
यह इस गाने के बोल और गायक पंकज उधास की आवाज का जादू था कि जब-जब यह गाना बजा, पैर घर की ओर भाग चले। और जो पैरों पर पाबंदियां लगीं तब मन को कोई रोक नहीं पाया।
सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार शांतिलाल जैन के हाल ही में प्रकाशित व्यंग्य संग्रह ‘… कि आप शुतुरमुर्ग बने रहें’ का हर व्यंग्य अपने आप में एक सामान्य विषय को बहुत रोचकता के साथ प्रस्तुत करने में सफल दिखाई पड़ता है।
यह इस गाने के बोल और गायक पंकज उधास की आवाज का जादू था कि जब-जब यह गाना बजा, पैर घर की ओर भाग चले। और जो पैरों पर पाबंदियां लगीं तब मन को कोई रोक नहीं पाया।
पद्मश्री बशीर बद्र को देखकर इस बात का इत्मीनान हुआ कि आज भी हिंदुस्तान में उर्दू की एक अजीम हस्ती मौजूद है। हालांकि मुलाकात एक तरफा ही थी। डॉ. साहब अपनी ही दुनिया में खोए हुए थे।
मैदान मैं लड़नेवाले सिपाही को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए जिस प्रकार नित्य की कवायद बहुत आवश्यक होती है, उसी प्रकार लेखक के लिए उपरोक्त अभ्यास भी नितांत आवश्यक है।