राजरंग

ताक पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश, मौत कैसे रूके?

हिरासत में मौत एक सार्वभौमिक समस्या है और इसे बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के बाद उल्लंघन का सबसे क्रूर रूप माना गया है।

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नेपाल का जेन ज़ी विद्रोह: अगर संविधान को मजबूत कर दे…

केवल सत्ता परिवर्तन या उपद्रव की तीव्रता काफी नहीं; ज़रूरत है कि इस चेतना को संस्थागत रूप देने की।

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मुख्यमंत्री को मुस्लिम टोपी पहनाने की कोशिश क्यों हुई?

धर्म और राजनीति को मिलाना खतरनाक है। इस्लाम भी कहता है कि किसी पर धर्म थोपना गुनाह है। नीतीश कुमार का टोपी न पहनना उनका व्यक्तिगत अधिकार है। इसे चुनावी हथियार बनाना न तो बिहार के मुसलमानों के हित में है और न ही लोकतंत्र के लिए सही संदेश है।

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सोचिए, माखन चोर नाम में क्‍या रखा है?

हमारे विनम्र अभिमत में भगवान श्रीकृष्ण के प्रादुर्भाव से लेकर उनके चरित्र और लीलाओं पर किसी अलग ढंग से विचार करना ना तो समीचीन कहा जाएगा और ना ही उचित।

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आखिर क्‍यों बदले बदले से ओम बिरला नजर आते हैं…

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पिछले कार्यकाल में जिस तरह विपक्षी सांसदों पर सख्ती दिखाते थे, वैसा इस बार देखने को नहीं मिल रहा है। जहां पहले निष्कासन का डर था, वहीं अब केवल समझाने-बुझाने की कोशिश होती है।

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‘कठघरे में साँसें’: क्‍यों पढ़ें यह किताब?

यह किताब इसलिए पढ़ी जानी चाहिए कि यह लेखक की आत्‍मकथा नहीं उस शहर भोपाल की आत्‍मकथा है जिसने अपने बाशिंदों को बदहवास सड़कों पर दौड़ते देखा है, जो आज भी उन्‍हें दम तोड़ते देख रहा है।

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उसे जिंदा रहने दें या मार दें … ?

सुप्रीम कोर्ट ने एक बुजुर्ग दंपति की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने अपने कोमा में पड़े 30 साल के बेटे के लिए इच्छामृत्यु की मांग की थी, जो 11 साल पहले गिरने के बाद से बिस्तर पर है।

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अभिशाप है रफ एंड रेडी न्याय अर्थात बुलडोजर जस्टिस

बुलडोजर न्याय का पैटर्न अब कानून के शासन और न्याय प्रणाली के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है। यदि यह प्रथा अनियंत्रित जारी रहती है तो यह न्यायपालिका में जनता के विश्वास को खत्म कर देगी।

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… और कई बार तो वे कहीं बेहतर इंसान होते हैं

एक तथ्य सर्वस्वीकृत होना चाहिए कि सेक्स वर्कर भी समाज के समतुल्य नागरिक हैं, और कई बार तो वे कहीं बेहतर इंसान होते हैं।

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