काव्य: कविता रेखांकन : वत्सल विभोर राय
सात रंग का घोड़ा था
किसी ने धो के निचोड़ा था
लाल लाल थी आंखें उसकी
नारंगी थी जबान
हरे पीले दांत थे उसके
नीली नीली सी मुस्कान
जामुनी रंग की लिए लगाम
बैंगनी रास्ते दौड़ा सरेआम
बूझो तो भई कौन है प्यारा….
… ये सतरंगी इंद्रधनुष हमारा