एक ही घूंट में दीवाने जहां तक पहुंचे…

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1 thought on “एक ही घूंट में दीवाने जहां तक पहुंचे…”

  1. राजेश कुमार द्विवेदी

    वाह! बहुत खूब दशोत्तर जी! नीरज जी की इन पंक्तियों का अत्यंत विस्तृत और सटीक विश्लेषण किया है आपने।
    बहुत बहुत बधाई एवं साधुवाद! इसी से मिलती जुलती उनकी ग़ज़ल की दो पंक्तियां याद आ रही हैं……
    इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में
    तुमको सदियां लग जायेंगी हमें भुलाने में!!🤗🙏🏼

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