- टॉक थ्रू टीम
यह तस्वीर मध्य प्रदेश के देवास की है। ये रोते हुए व्यक्ति देवास शहर के बाहरी क्षेत्र स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय संजयनगर के प्रभारी प्रधानाध्यापक तिलकराज सेम हैं। स्कूल में रोते हुए बच्चों के बारे में तो सुना, देखा था लेकिन आखिर ऐसी क्या बात हुई कि प्राचार्य ही रोने लगे।
वैसे तो यह ऐसी खबर नहीं है कि इसपर गौर किया जाए। आखिर, जब हमें कई अंकों के आर्थिक गुनाह की आदत हो तो इत्तू से लगने वाले गुनाह की क्या ही बिसात कि सब उस पर ध्यान दें। मगर माजरा शिक्षा का है, शिक्षा के मंदिर का है और उनका है जिन पर समाज भरोसा किया करता था तो मन जरा खट्टा हो ही जाता है। और जब प्रधानाध्यापक को ऐसे रोते देखते हैं तो अचरज से भर कर पूछ ही लिया जाता है, अरे, प्रधानाध्यापक जी, आप तो रोने लगे…। क्यों आखिर? क्या आपको डर नहीं था?
माजरा यूं है कि प्रभारी प्रधानाध्यापक तिलकराज सेम ने स्कूल की ही एक शिक्षिका को कामकाज ढंग से नहीं करने और कार्रवाई करने के नाम पर डरा धमका कर हर महीने 5 से 6 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की। शिक्षिका ने इसकी शिकायत लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन में कर दी। प्राथमिक जांच में लोकायुक्त टीम ने रिश्वत की बात को सही पाया। उसके बाद टीम ने योजना बना कर प्रभारी प्रधानाध्यापक के मंसूबों पर पानी फेर दिया। लोकायुक्त टीम सोमवार को स्कूल पहुंची और 5000 की रिश्वत लेते हुए प्रधानाध्यापक को रंगे हाथों पकड़ लिया।
पुलिस ने मीडिया को बताया है कि शिक्षिका को सरकारी कागजी कामकाज थोड़ा कम आता है। इसी का लाभ उठाते हुए प्रभारी प्रधानाध्यापक उनको धमकाता रहता था। वह अक्सर कार्रवाई और जांच होने, कलेक्टर द्वारा निलंबन करने के नाम पर डरते हुए कहता था कि शिक्षिका यदि हर माह रुपये देती रहेगी तो वह उन्हें कार्रवाई से बचा लेगा। फिलहाल, लोकायुक्त ने अपना काम कर दिया है। प्रधानाध्यपक रोते रहे और पुलिस उन्हें पकड़ कर ले गई।