नए साल पर लीजिए ये पांच संकल्प
- टॉक थ्रू टीम
नया साल आ गया है। नए साल पर नए संकल्प लेने की परंपरा है। ये संकल्प इसलिए ही लिए जाते हैं ताकि हम पिछले अनुभवों से सीख लेते हुए आने वाले साल में बेहतर कर पाएं। ये संकल्प किसी भी तरह के हो सकते हैं। ये व्यक्तिगत हो सकते हैं, सामाजिक हो सकते हैं या फिर किसी अन्य तरह के भी हो सकते हैं। आइए, बात करते हैं 2025 के लिए कुछ ऐसे ही संकल्पों की जो एक व्यक्ति, परिवार के सदस्य और सामाजिक रूप से भी हमें बेहतर मनुष्य बना सकें।
ज्यादा पढ़ें, ज्यादा सुनें
अगर आप बेहतर मनुष्य बनना चाहते हैं तो इस साल खूब पढ़ने का संकल्प लें। ढेर सारी किताबें पढ़ें ताकि आपके ज्ञान का विस्तार हो और आप मोबाइल स्क्रीन पर कम से कम समय बिताएं। मोबाइल स्क्रीन एक लत की तरह हो गई है जिस पर जाने के बाद बाकी चीजों पर से आपका नियंत्रण खत्म हो जाता है। आप एक के बाद एक रील्स या वीडियो देखते जाते हैं या सोशल मीडिया पर टाइम बिताते चले जाते हैं।
बीते साल हमारा परिचय एक नए शब्द से हुआ ‘ब्रेन रोट’ यानी ‘दिमागी सड़न’। इस शब्द को ऑक्सफोर्ड वर्ड ऑफ द इयर चुना गया। ब्रेन रोट के बारे में ऑक्सफोर्ड प्रेस ने कहा कि जब कोई व्यक्ति ऑनलाइन सामग्री का बहुत अधिक उपयोग करता है तो उसकी मानसिक या बौद्धिक स्थिति में गिरावट आनी शुरू हो जाती है।
ऑक्सफोर्ड के मुताबिक बीते एक साल में टिक टॉक, इंस्टाग्राम सहित आधुनिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस शब्द का इस्तेमाल बढ़ा और अब यह मुख्य धारा के मीडिया में भी अपनी जगह बना रहा है। सोशल मीडिया माध्यमों का अलगोरिदम इस प्रकार काम करता है कि अगर आप किसी खास तरह की सामग्री देखते हैं तो वह आगे आपको उसी तरह की सामग्री दिखाना आरंभ कर देता है।
ऐसे में अगर आप अपने आपको दिमागी सड़न से बचाना चाहते हैं बल्कि अपने दिमाग को अधिक उर्वर बनाना चाहते हैं तो संकल्प लीजिए कि जितना अधिक संभव होगा उतनी पढ़ाई करेंगे। अगर आप ज्यादा ट्रैवेल करते हैं और किताबें पढ़ने के लिए आप समय नहीं निकाल पाते हैं तो स्टोरीटेल या ऑडिबल जैसे कई प्लेटफॉर्म हैं जहां आप किताबों का बहुत अच्छा पाठ सुन सकते हैं।
एक नई भाषा सीखिए
इस वर्ष एक नई भाषा सीखने पर काम कीजिए। माना कि लिखने पढ़ने की ज्यादातर अच्छी चीजें हिंदी-अंग्रेजी में उपलब्ध हैं लेकिन एक नई भाषा आपके सामने एक नई दुनिया की खिड़की खोलेगी। नई भाषा, एक नई संस्कृति से आपका परिचय कराएगी, नए लोगों को समझने में आपकी मदद करेगी।
सोच कर देखिए दुनिया भर में 7,000 से अधिक भाषाएं हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक अकेले भारत में 121 भाषाएं और 270 से अधिक मातृ भाषाएं हैं। इनकी संख्या में लगातार कमी आ रही है क्योंकि लोगों में नया सीखने की प्रवृत्ति कम हो रही है। इसके अलावा कुछ दबदबे वाली भाषाओं ने अपने उपनिवेश तैयार कर लिए हैं जहां छोटी भाषाएं दम तोड़ रही हैं। एक नई भाषा सीखना, एक भाषा को बचाने का काम भी है। आइए यह संकल्प लें कि इस साल एक नई भाषा अवश्य सीखेंगे।
लक्ष्य पूर्ति का संकल्प
कहते हैं कि अच्छे और नए विचार तो अनेक लोगों के पास होते हैं लेकिन कामयाब इंसान वही होता है जो किसी नए विचार पर पहले और अधिक तैयारी से अमल कर लेता है। सोच कर देखिए। क्या ऐसा हो सकता है कि ऑनलाइन सेलिंग प्लेटफॉर्म या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाने का सपना केवल एमेजॉन के जेफ बेजोस और मेटा के मार्क जकरबर्ग को आया होगा। नहीं ऐसा नहीं है। इनसे पहले भी लोगों के मन में ये विचार आए और लोगों ने काम भी किया लेकिन असली कामयाबी इन्हें मिली क्योंकि इनकी तैयारी और प्रतिबद्धता दूसरों से अलग थी।
वर्ष 2025 में आइए संकल्प लेते हैं कि नए लक्ष्य तय करेंगे और उन्हें पूरा करने की कोशिश करेंगे। ये लक्ष्य किसी भी तरह के हो सकते हैं। पेशेवर सफलता का लक्ष्य, व्यक्तिगत विकास का लक्ष्य या फिर किसी नई जगह को देखने या जानने का लक्ष्य। इनमें से हर एक को पूरा करना आपको संतुष्टि प्रदान करेगा और बेहतर मनुष्य बनाएगा। वर्ष के आरंभ में ही अपने लक्ष्य तय करें और उन्हें बार-बार दोहराएं ताकि वे आपकी स्मृतियों में कहीं कमजोर न पड़ जाएं।
बचत बनाने का संकल्प
बढ़ती महंगाई, रुपये की घटती कीमत और अस्थिर वैश्विक हालात से जुड़ी खबरें तो हम पढ़ते ही रहते हैं। इन पर हमारा कोई वश नहीं लेकिन कुछ चीजें हैं जो हम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए छोटी बचत। कहते हैं कि बूंद बूंद से घड़ा भरता है। यह सच है। अगर आप हर सप्ताह महज कुछ रुपये बचाने की आदत डाल लें तो कुछ महीने या एक साल बाद आप पाएंगे कि आपके पास ठीक-ठाक धनराशि एकत्रित हो गई है।
छोटी बचत करने के लिए आपको किसी खास गणित की जरूरत नहीं है। कुछ पैसे एक गुल्लक में डालते रहिए और महीने में एक बार उसे फोड़कर उसमें एकत्रित पैसों को किसी अल्पबचत योजना में डाल दीजिए। अगर आप शेयर बाजार या अन्य जोखिम भरी योजनाओं में पैसे नहीं लगाना चाहते तो भी डाकघर की रिकरिंग डिपॉजिट योजना, पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि समेत अनेक योजनाएं हैं जिनमें आप छोटा निवेश कर सकते हैं जो एक तय अवधि के बाद आपको अच्छा प्रतिफल देती हैं।
सेहत को कहें हां
हममें से अधिकांश लोग अपने जीवन में जिस चीज को सबसे कम महत्व देते हैं वह है हमारा स्वास्थ्य। यहां स्वास्थ्य का मतलब, शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक हर किस्म के स्वास्थ्य से है। हमारी आदतें और हमारा परिवेश हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। आमतौर पर हम केवल शारीरिक स्वास्थ्य की बात करते हैं लेकिन जरूरी है कि हम हर तरह से स्वस्थ रहें।
हम जीवन की भौतिक कामयाबियों के लिए अत्यधिक श्रम करते हैं और इस दौरान अपने स्वास्थ्य की अनदेखी कर देते हैं या अपनी परेशानियों को टालते रहते हैं। यह समझने की जरूरत है कि अगर हम स्वस्थ रहेंगे तो बाकी चीजें अपने आप हमारे पास होंगी। इसलिए संकल्प लीजिए कि इस वर्ष अपने स्वास्थ्य पर खूब ध्यान देंगे। संभव हुआ तो रोज टहलने जाइए, दिलो दिमाग को पूरा आराम दीजिए। अगर वजन अधिक है तो उसके लिए लक्ष्य तय करके हासिल करने की दिशा में काम कीजिए लेकिन कीजिए जरूर।