शरद है साल की पहली प्यारी मुस्कान
शरद ऋतु मानसून का विदाई गीत है। बारिश प्रकृति के शुद्धिकरण का त्यौहार है। उसके बाद कोई अदृश्य चितेरा बारिश में धुले, स्वच्छ आकाश के कैनवास पर हर कल्पनीय रंग बिखेर जाता है।
शरद है साल की पहली प्यारी मुस्कान जारी >
शरद ऋतु मानसून का विदाई गीत है। बारिश प्रकृति के शुद्धिकरण का त्यौहार है। उसके बाद कोई अदृश्य चितेरा बारिश में धुले, स्वच्छ आकाश के कैनवास पर हर कल्पनीय रंग बिखेर जाता है।
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भीड़ समवेत स्वर में जोर से चिल्लाई-छोड़ दो….। दादा ने बिना सुलगा सुतलीबम फेंक दिया। लोग हंसने लगे।
दादा ने सुतली बम पकड़े रखा और जलती कंडी फेंक दी जारी >
हर बार आप आश्चर्य से सीखते हैं। जो ज्ञान अचानक प्रस्फुटित हो, वही सिखा जाता है। हर अचानक घटना एक आश्चर्य का होना है।
इस तरह की प्रतीक्षाओं का अंत हो जाता है… जारी >
उनका ‘अम्मा साहब’ कहलाना भी एक गहरे आध्यात्मिक अर्थ को धारण करता था। उनका अस्तित्व, उस एकता के महासागर में विलीन हो चुका था, जहां न स्त्री थी, न पुरुष, केवल ईश्वर के प्रेम की अनंत धारा थी।
शायरी वो कमाल की है कि सीधे दिल में उतरती है। वैसे ही जैसे दिल से कही जाती है। उन्हें खूब सुना गया। जितना सुना गया उससे ज्यादा सुनाया गया। कभी अपने हाल बताने के लिए, कभी अपने दिल की कहानी जताने के लिए।
तू जहां तक दिखाई देता है, उससे आगे मैं देखता ही नहीं जारी >
जयेंद्रगंज, ढोली बुआ का पुल, इंदरगंज, हजीरा और मुरार में जैसे कोचिंग क्लासेस और गुरुजनों की बड़ी-छोटी दुकानें सज गईं। छात्र-छात्राओं का रेला दिन भर शहर की सड़कों पर भेड़ों की तरह भटकता रहता।
माह में एक फिल्म देखता लेकिन बैठता बालकनी में ही जारी >
विश्व बैंक ने कुपोषण की तुलना ब्लेक डेथ नामक महामारी से की है जिसने 18 वीं सदीं में यूरोप की जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को निगल लिया था।
तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था और सबसे ज्यादा कुपोषण जारी >
मुझे – 1.5 का चश्मा चढ़ेगा। चश्मा बनवाया गया। पता चला जिस बिल्डिंग की छत पर पढ़ने वाली को मैं लड़की समझता था, वो दरअसल एक लड़का था।
छत पर पढ़ने वाली लड़की असल में लड़का निकली जारी >
बचपन से ही इस खेल को बूझने की तमन्ना थी जिसके बोल हैं-गोल-गोल रानी,इत्ता-इत्ता पानी। आइए आज इस खेल की कहानी को समझते हैं। शरद पूर्णिमा की रात समझते हैं कि गोल का आखिर चक्कर क्या है!
गोल-गोल रानी,इत्ता-इत्ता पानी, उजाले के खेल की कहानी जारी >
बच्चों का यौन शोषण एक व्यापक और गहरी जड़ वाली समस्या है जिसने दुनिया भर के समाजों को परेशान किया है और भारत में यह गंभीर चिंता का विषय रहा है।