एक कवि की उपस्थिति में उगता है नववर्ष का पहला सूर्य!

मेरा कहने का अर्थ है कि क्या आपका संस्थान लोगों को नौकरी देते वक्त या आप अपनी टीम चुनते वक्त यह ध्यान में रखते हैं कि उसमें समाज के सभी तबकों-जातियों और वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व हो सके?

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मेरिट यानी योग्यता: भ्रम या सचाई?

मेरा कहने का अर्थ है कि क्या आपका संस्थान लोगों को नौकरी देते वक्त या आप अपनी टीम चुनते वक्त यह ध्यान में रखते हैं कि उसमें समाज के सभी तबकों-जातियों और वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व हो सके?

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ईश्वर आपकी यात्रा सफल करे… कहने का अर्थ क्या है

सोचकर देखिए! यात्रा में एक बार बगल में किसी की नेविगेटर सीट पर अगर ईश्वर सहयात्री के रूप में बैठ जाए तो फिर उस सफर को तो तब सफल होना ही है।

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धरती की धड़कनें सुनने के लिए, बीज होना होता है… हवा में बहना होता है

गुरुडोंगमर की चुप्पी और कन्याकुमारी की गर्जना- दोनों एक ही संगीत के स्वर। जीवन इस संगीत में बहता है, हर कण में, हर तरंग में। पत्थर रेत बनते हैं, सागर शीतलता बुनता है, और यह लय हमें अपने भीतर समेट लेती है।

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… जैसे किसी को सदियों बाद अपनी प्रेमिका की चिट्ठी मिल गई हो

जब कोई प्रेम कविता लिखी जाती है तो उसमें महुआ का नाम भले न हो लेकिन उसकी गंध ज़रूर होती है। वह हर प्रेम की तह में बैठा होता है, जो सब जानता है लेकिन कहता कुछ नहीं।

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इस शेर के ज़रिए बखूबी समझी जा सकती है ‘थ्योरी ऑफ कनेक्टिविटी’

जो बंदा बंदगी के रंग में डूबता है वह दुनियादारों से कुछ इसीलिए अलग होता है क्योंकि वह अपने भीतर छुपे हुए राज़ को राज़ नहीं रहने देता। वह सब कुछ सामने लाने की हिम्मत करता है।

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टैरिफवाद केवल आर्थिक नीति नहीं, इसे वैचारिक युद्ध की घोषणा समझें

टैरिफवाद अब कोई अर्थनीति नहीं रहा—वह एक घोषित रणनीति है, जो व्यापार को सैनिक युद्धों के स्थान पर रखकर, उसे उन्हीं उद्देश्यों का औजार बना देती है।

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खाली जेबें और आकांक्षी मन

महंगी होती शिक्षा देश के गरीब, वंचित, निम्नमध्यवर्गीय परिवारों की राह को मुश्किल कर रही है। वे अपने बच्चों को पढ़ाना तो चाहते हैं लेकिन शिक्षा का लगातार महंगा होना उनकी राह रोक रहा है।

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अभिव्यक्ति की आजादी सबसे कीमती, इसे दबाया नहीं जा सकता

यह मामला दिखाता है कि हमारे संविधान के अस्तित्व में आने के 75 साल बाद भी राज्य की कानून प्रवर्तन मशीनरी नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकार के बारे में या तो अनभिज्ञ है या इस मौलिक अधिकार की परवाह नहीं करती है।

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केवल अनुभव किया जा सकता था,आस्था का महासागर था वह

रास्ते भर मन कल्पनाओं में तैरता रहा, गंगा का दिव्य स्वरूप, साधु-संतों के अखाड़े, मंत्रों की गूंज और असंख्य दीपों से प्रकाशित वह पावन धरा। जब प्रयागराज पहुंचे, तो लगा जैसे समय की सीमाएं विलीन हो गई हों। वहां जो दृश्य था, वह केवल आँखों से देखा नहीं जा सकता था, बल्कि उसे अनुभव किया जाना था, वह आस्था का महासागर था, जहां हर लहर श्रद्धा की एक नई कहानी कह रही थी।

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