टॉक थ्रू एडिट डेस्क
22 जनवरी को जब मीडिया में राम प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा की खबरें छाई हुई थी और हर तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र तथा मध्यप्रदेश में एक नया ‘राजनीति कांड’ हुआ। यह राजनीति कांड उन दो नेताओं ने रचा जो पिछले डेढ़ दशक से मध्य प्रदेश की राजनीति के कर्ताधर्ता बने हुए हैं। कभी ये सत्ता और संगठन के हर फैसले को तय करते थे और आज इन नेताओं के अस्तित्व पर संकट है तो सारी जुगत प्रासंगिक बने रहने की है।
मध्यप्रदेश की राजनीति में पिछल एक दशक से दो किरदार छाए रहे हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सत्ता में नंबर दो की हैसियत रखने वाले गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा। दोनों नेता बीजेपी ही नहीं प्रदेश की समूची राजनीति का केंद्र रहे हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी में सत्ता में लौटी लेकिन ये दोनों किरदार अपनी खोती चमक को बनाए रखने की कोशिशों में हैं।
मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दोनों नेताओं के बीच एक अजीब संयोग घट रहा है। शिवराज सिंह चौहान चुनाव जीत गए लेकिन पद खो बैठे हैं जबकि नरोत्तम मिश्रा तो चुनाव ही हार गए हैं। दोनों के हाथ खाली हैं और दोनों बेहद सक्रिय हैं। यह सक्रियता खुद के बने रहने की गवाही की तरह है।
22 जनवरी को जब शिवराज सिंह चौहान ओरछा में थे तो पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भोपाल मजमा जमाया। उन्होंने अपने निवास के कुछ दूर चार इमली स्थिति मंदिर में सुंदरकांड पाठ और भंडारे का आयोजन किया। कार्यक्रम में मीडिया को आमंत्रित किया गया था। इस दौरान नरोत्तम मिश्रा राम दरबार की झांकी के साथ बैठे थे। उन्होंने मीडियाकर्मियों से खुल कर बात की।
अवसर के महत्व और अपने अस्तित्व के सवाल को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 22 जनवरी को ओरछा में रहने की घोषणा कर राजनीतिक बिसात पर एक दांव चला था। राजनीतिक दांव इसलिए कि अयोध्या के बाद ओरछा का भी उतना ही महत्व है। मध्यप्रदेश में ओरछा में शिवराज का होना बड़ी खबर बनना तय था। यानी अयोध्या में मोदी और ओरछा में शिवराज।
जब शिवराज सिंह चौहान ने ओरछा जाने की घोषणा की और चित्रकूट में मोहन यादव कैबिनेट की बैठक हुई तो माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री मोहन यादव चित्रकूट में रह सकते हैं। लेकिन संगठन के मन में तो कुछ ओर ही था। राम मंदिर उद्घाटन के अवसर मोहन यादव को भी ओरछा भेजा गया। मुख्यमंत्री मोहन यादव के रहते पूर्व मुख्यमंत्री की चमक फीकी पड़ना तय थी और हुआ भी यही।
एक दिन पहले शताब्दी एक्सप्रेस से रामधुन गा कर जाने वाले शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ बैठ कर पूजा की। खबरों में भी दोनों की जुगलबंदी की चर्चा हुई लेकिन साफ दिखाई दिया कि मोहन यादव की उपस्थिति पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की राजनीतिक बिसात में नहले पर दहले की तरह था। मोहन यादव फ्रंट पर आ गए और शिवराज सिंह चैहान नैपथ्य में चले गए। खबरों में प्रमुखता से जगह घेरने का टीम शिवराज के प्लान पर पानी फिर चुका था। चर्चित बने रहने के इस खेल में शह और मात का क्रम अभी जारी रहेगा।