राजस्थान कबीर यात्रा: कला, संगीत और मानवता का अनोखा संगम
अनुजीत इकबाल, लखनऊ
कभी-कभी यात्रा के अनुभव हमारी समझ और जीवन के प्रति दृष्टिकोण को व्यापक बना देते हैं। जब मैंने पहली बार ‘राजस्थान कबीर यात्रा’ के बारे में सुना तो यह मेरे लिए कबीर से ज्यादा, एक आकर्षक यात्रा का माध्यम था। यात्रा करना मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसलिए मैंने इस यात्रा में शामिल होने का निर्णय लिया। हालांकि, अभी कुछ साल इंतजार करना होगा।
जैसे-जैसे मैंने वेब पर राजस्थान कबीर यात्रा के बारे में पढ़ा और देखा, मेरी उत्सुकता और भी बढ़ गई। यह यात्रा मेरे लिए महज एक यात्रा नहीं रह गई, बल्कि कबीर के जीवन और उनके संदेशों को जानने का एक अनोखा अवसर बन गई। आमतौर पर यह धारणा रही है कि कला-संगीत किसी विशिष्ट वर्ग का शौक है और आम लोगों से हमेशा ही दूर रहा है पर राजस्थान कबीर यात्रा को लेकर ऐसा नहीं कहा जा सकता। यह एक अनोखी यात्रा है जिसमें विभिन्न वर्गों के लोग, कलाकार और संगीत प्रेमी शामिल होते हैं। यह यात्रा हमारे देश की विविधताओं को समेटे हुए है। यहां आम लोग हैं, विभिन्न शहरों से आए युवा हैं, दूर-दराज के गांवों से आए कलाकार हैं, जो अपने पारंपरिक संगीत को नई ऊर्जा और नए प्रयोगों के साथ प्रस्तुत करते हैं। यह एक ऐसा मंच है जहां लोक कलाकारों के साथ नए प्रयोगधर्मी कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
कबीर के प्रति मेरी जिज्ञासा पहली बार तब बढ़ी जब मैंने उनके बारे में ओशो से सुना। ओशो ने कहा था कि भारत में तीन जीनियस पैदा हुए: कृष्ण, बुद्ध और कबीर। यह एक बड़ा कथन है, और इसे समझने के लिए इन तीनों के जीवन को पढ़ना और सुनना आवश्यक है। ओशो का कहना था कि ये तीनों व्यक्ति अपने समय से आगे थे और उनकी सोच और विचारधारा ने समाज को एक नई दिशा दी। कबीर ने अपने जीवन और शिक्षाओं से समाज में गहरी छाप छोड़ी। वे जाति-पाति, धर्म के भेदभाव और धार्मिक पाखंड का कड़ा विरोध करते थे। उनकी रचनाएँ साखियां, पद और दोहे के रूप में प्रसिद्ध हैं, जो आज भी समाज को सही दिशा में मार्गदर्शन करती हैं। कबीर का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि उनके समय में था।
राजस्थान कबीर यात्रा एक ऐसा मंच है जहां विभिन्न प्रकार की कलाओं का संगम होता है। यहां संगीत, नृत्य, कविता और रंगमंच का अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है। यह यात्रा न केवल कबीर के जीवन और शिक्षाओं को जानने का अवसर प्रदान करती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि कला और संगीत किसी विशिष्ट वर्ग के नहीं होते। यह सभी के लिए होते हैं, और इनका आनंद सभी ले सकते हैं।
कला और संगीत का सृजन सदैव एक मुक्त और स्वतंत्र वातावरण में हुआ है। प्रकृति, जो हर रचना की जननी है, ने सदियों से कलाकारों को प्रेरित किया है। जब हम खुले आकाश के नीचे, प्राकृतिक वातावरण में कला-संगीत का अनुभव करते हैं, तो उसका आनंद और भी बढ़ जाता है। इस संदर्भ में, राजस्थान कबीर यात्रा एक विशेष स्थान रखती है। यह यात्रा किसी ऑडोटोरियम में बंद चारदीवारी के भीतर नहीं होती, बल्कि अलग-अलग गांवों में, रेगिस्तान की रेत पर, खुली हवा में संपन्न होती है।गांव के चौपालों या खुले मैदानों में, आसमान के तारों के नीचे, गायक और वादक अपने संगीत उपकरणों के साथ स्वागत करते हैं। वे अपनी अनूठी आवाज और दक्षता से कबीर के भजनों को प्रस्तुत करते हैं, जिससे समूचे स्थान पर माहौल एकांत, शांति और प्राकृतिक सौंदर्य से भर जाता है।यहां कोई दीवार नहीं होती, इसलिए कोई भी आ-जा सकता है, नाच सकता है और गा सकता है।
राजस्थान कबीर यात्रा में देशभर से पांच सौ से अधिक लोग शामिल होते हैं। यह यात्रा विभिन्न गांवों में जाकर कबीर के विचारों और संगीत को प्रस्तुत करती है। इस यात्रा में हर उम्र के कलाकार भाग लेते हैं और इसे इतनी सहजता से आयोजित किया जाता है कि किसी को कोई शिकायत नहीं होती। यह यात्रा एक सामूहिक उत्सव की तरह होती है जिसमें सभी का स्वागत है।
कबीर को जीने वाले लोग भी शायद ऐसे ही होते होंगे – सादगी और प्रेम से भरे हुए। हम अक्सर यू-ट्यूब पर विभिन्न प्रकार के संगीत खोजते रहते हैं और कुछ भी सुन लेते हैं। लेकिन अपने अनुभव से कह सकती हूं कि राजस्थान कबीर यात्रा के सामने सामान्यतः सुना जाने वाला संगीत फीका पड़ जाता है। आजकल संगीत रिकॉर्डिंग में इस्तेमाल होने वाले सॉफ़्टवेयर जैसे कि Pro Tools, Logic Pro, Cubase और Ableton Live लेकिन कबीर यात्रा में सब कुछ प्राकृतिक है, संगीत अपने विशुद्ध रूप में।
राजस्थान कबीर यात्रा में भाग लेने वाले कई प्रमुख गायक और कलाकार शामिल होते हैं जो कबीर के भजनों और अन्य सूफी संगीत को प्रस्तुत करते हैं। प्रह्लाद सिंह टिपाणिया का नाम शायद कम लोगों ने सुना होगा, वह मालवा क्षेत्र के प्रसिद्ध कबीर गायक हैं और उनके निर्गुणी भजन बहुत प्रसिद्ध हैं। वह कबीर के निर्गुणी भजनों को जिस प्रेम और भाव से गाते हैं, वह अद्वितीय है। तंबूरा, खड़ताल, मंजीरा, ढोलक और टिमकी के साथ उनकी प्रस्तुति ऐसी होती है कि कभी-कभी लगता है कि कबीर स्वयं बनारस के घाट पर गा रहे हैं। इनके अलावा मधु और मनोज सिंह (ये दोनों भाई राजस्थान के लोक संगीत के प्रमुख कलाकार हैं।) मुकुंद दास, बुंदू खान, बाबा रसूल, परवेज़ बख्शी राजस्थान के प्रसिद्ध गायक हैं जो कबीर और अन्य सूफी संतों के गीत गाते हैं।
शबनम विरमानी एक प्रमुख नाम है जो राजस्थान कबीर यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे एक उच्च स्तरीय गायिका हैं, जिन्होंने कई बार राजस्थान कबीर यात्रा में अपनी प्रतिभा दिखाई है और अपनी विशेष शैली में कबीर के भजनों को प्रस्तुत किया है। शबनम विरमानी का संगीत विशेष रूप से उनकी गहरी और माधुर्यपूर्ण आवाज़ के लिए प्रसिद्ध है। उनकी आवाज़ हमें कबीर और अन्य सूफी संतों के भजनों को वे ऐतिहासिक और सामाजिक संदेश के साथ जोड़ती हैं। उनकी संगीत दक्षता और ज्ञान के लिए उन्हें बहुत प्रेम मिलता है, और वह समाज में संतों के संदेश को प्रसारित करने में अपना योगदान देने के लिए प्रस्तुत रहती हैं। उनके भावपूर्ण गायन की वजह से, उनकी प्रतिभा ने उन्हें एक प्रमुख गायिका बना दिया है जो कबीर यात्रा के प्रतिष्ठित गायकों में से एक मानी जाती हैं।
राजस्थान कबीर यात्रा में हर साल विभिन्न नए और पुराने कलाकार शामिल होते हैं, जो कबीर के संदेश और संगीत को जीवंत रखते हैं।
कई बार सोचती हूं कि आखिर राजस्थान कबीर यात्रा के बारे में सोशल मीडिया पर इतनी चर्चा क्यों नहीं होती, पर इस बात से संतुष्टि होती है कि जमीनी स्तर पर काम करने वाले अपना काम तत्परता से कर रहे हैं। जो खोजी होंगे, वे इसे ढूंढ़ निकालेंगे। यह यात्रा एक जीवंत उदाहरण है कि किस प्रकार सच्ची कला और संगीत सीमाओं और बाधाओं से परे होते हैं।
यह यात्रा एक ऐसा अनूठा अनुभव है जो केवल शब्दों में नहीं बंध सकता। यह अनुभव खुली हवा में, प्राकृतिक परिवेश में और सामूहिकता के साथ जीया जाता है। कबीर के विचार और संगीत को इस यात्रा के माध्यम से पुनर्जीवित करना एक महान कार्य है, जो केवल उन्हीं के द्वारा संभव है जो कबीर को जीते हैं, महसूस करते हैं और उनके संदेश को समझते हैं। इस यात्रा में शामिल होकर हम न केवल अपने अनुभवों को समृद्ध कर सकते हैं, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने में भी मदद कर सकते हैं।
हम कबीर चाहे न बन पाएं, लेकिन हमें यह एहसास जरूर हो जाता है कि पूरी तरह डूब जाने से ही हम सुंदरता, संगीत, प्रेम और परम को समझ सकते हैं।
दैनिक जीवन में, हमें अक्सर उन क्षणों का अनुभव नहीं हो पाता जो हमें हमारे अस्तित्व की गहराईयों से जोड़ते हैं। फिर भी, जीवन के कुछ अनमोल क्षण, जब हम अपने होने की वास्तविकता की सच्ची अनुभूति करते हैं तब हम अपने अंदर की सच्चाई से परिचित होते हैं, जिसे बाहरी दुनिया शायद ही कभी समझ पाती है और कबीर हैं न हमें यह सब अनुभूत करवाने के लिए।