कॉस्मिक ऑर्केस्ट्रा और मेवाती घराने का संगीत

  • राघवेंद्र तेलंग

सुपरिचित कवि,लेखक,विज्ञानवेत्ता

कृष्ण होना,जीवन की जटिलताओं में भी सहजता और विनोद बनाए रखना है- जहाँ बांसुरी की मधुरता और चक्र की तीक्ष्णता एक ही व्यक्तित्व में संगठित हो जाती है। हम सबके जीवन में भी श्रीकृष्ण का विवेक, प्रेम और करुणा ऐसे ही प्रवाहित हो, जैसे यमुना की धारा ब्रजभूमि को सींचती है। कृष्ण होना मात्र एक व्यक्तित्व धारण करना नहीं, बल्कि जीवन के गूढ़ रहस्यों को आत्मसात करना है। कृष्ण वह चेतना हैं जो समय, स्थान और परिस्थिति से परे होकर भी उनसे संवाद करती है। वे हमें यह बोध कराते हैं कि जीवन केवल श्वेत-श्याम नहीं, बल्कि अनगिनत रंगों का संगम है- जहाँ नीति और प्रेम, युद्ध और करुणा, आनंद और त्याग समान रूप से स्थान पाते हैं। अंतत: कहना है कि कृष्ण होना यह समझना है कि आध्यात्मिक होकर पाया हुआ धर्म कोई स्थिर सूत्र नहीं, बल्कि परिस्थितियों के अनुसार बदलने वाली एक जीवंत गत्यात्मक डायनामिक संवेदना है, जो इवॉल्यूशन के लिए, विकास के लिए बेहद ज़रूरी है।

raghvendratelang6938@gmail.com

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