ये अजीब बीमारी, पल भर में दे रही मौत, थोड़ी सतर्कता बचा सकती है जान

जे.पी.सिंह, वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के विशेषज्ञ

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है जिसमें एक महिला डांस परफॉर्मेंस देते देते गिरीं और उनकी वहीं डेथ हो गई। मशहूर सिंगर केके (कृष्ण कुमार कुन्नथ) की कोलकाता में लाइव शो के दौरान मौत हो गई। बताया गया कि शो के बाद अचानक उनकी तबियत बिगड़ी और वे गिर गए जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इससे कुछ महीने पहले मशहूर बॉलीवुड अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की भी कार्डियक अरेस्ट के चलते मौत हो गई थी।

ये मामले गवाह है कि दिल से जुड़ी बीमारी के मामले अब कम उम्र में भी देखे जा रहे हैं। भारतीय लोगों में कुछ कारणों की वजह से कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इस सब की एक ही वजह है HOCM यानी हाइपरट्रॉफिक कार्डियो मायोपैथी। हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (HOCM) एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय की मसल्स असामान्य रूप से मोटी हो जाती हैं। जिससे हृदय के अंदर ब्लड फ्लो में परेशानी होती है। यह मुख्य रूप से जेनेटिक कारणों से होता है और कई बार यह बिना किसी पूर्व लक्षण के भी प्रकट हो सकता है। यह समस्या तब गंभीर हो जाती है जब मोटी मांसपेशियां हृदय के लेफ्ट वेंट्रीकल (left ventricle) से निकलने वाले ब्लड फ्लो में रुकावट बनने लगती है। जिससे दिल को पंप करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यह अनियमित धड़कन, सीने में दर्द और अचानक हृदय गति रुकने जैसी स्थितियां पैदा कर सकता है। दिल एक ऐसा अंग है जो पूरे शरीर में ब्लड का संचरण करता है लेकिन जब यह खुद किसी समस्या का शिकार हो जाए, तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं। यह समस्या जेनेटिक हो सकती है, लेकिन सही समय पर पहचान और उचित देखभाल से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

HOCM के लक्षण व्यक्ति-व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखते, जबकि कुछ को गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं-

सांस फूलना – थोड़ी सी मेहनत करने पर भी जल्दी थकान और सांस लेने में तकलीफ महसूस होना।
सीने में दर्द – खासकर व्यायाम या परिश्रम के दौरान।
बेहोशी या चक्कर आना – रक्त प्रवाह में बाधा के कारण ब्रेन तक पूरी ऑक्सीजन नहीं पहुंचने से यह समस्या हो सकती है।
अनियमित दिल की धड़कन (अरिथमिया) – दिल की धड़कन असामान्य रूप से तेज़ या अनियमित हो सकती है।
सडन कार्डियक अरेस्ट – काफी गंभीर स्थिति, जिसमें दिल अचानक धड़कना बंद कर सकता है।

यदि आप इनमें से किसी भी लक्षण को महसूस हो तो जल्द से जल्द हार्ट स्पेशलिस्ट से परामर्श लेना चाहिए। हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी आमतौर पर आनुवंशिक कारणों से होता है, यानी यह माता-पिता से बच्चों को ट्रांसफर हो सकता है। कुछ अन्य संभावित कारण इस प्रकार हैं:

आनुवंशिक म्यूटेशन – कुछ जीन में बदलाव इस स्थिति को जन्म दे सकते हैं।
ज्यादा एक्सरसाइज – कुछ मामलों में, पेशेवर खिलाड़ियों में यह समस्या देखी गई है।
हाई ब्लड प्रेशर और मोटापा – लंबे समय तक उच्च रक्तचाप या मोटापा भी हृदय पर दबाव डाल सकता है।
शुगर और मेटाबॉलिक बीमारी– ये बीमारियां भी हृदय की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकती हैं।

हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन सही देखभाल और उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। जैसे

चिंता की वजह से हार्ट अटैक का खतरा: डिप्रेशन और चिंता आदि से ग्रसित व्यक्ति के दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर दोनों बढ़ जाते हैं। डिप्रेशन की स्थिति में हृदय में रक्त का प्रवाह भी कम हो जाता है और शरीर में कोर्टिसोल जैसे तनाव हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थितियों के कारण हृदय से जुड़ी गंभीर बीमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। अनियमित दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर के स्तर में बदलाव की वजह से व्यक्ति को हार्ट अटैक, हार्ट स्ट्रोक और हार्ट फेलियर जैसी समस्याओं का खतरा रहता है।

दवाइयां-

बीटा-ब्लॉकर्स और कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स – ये दवाइयां हृदय की धड़कन को नियंत्रित करने और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
एंटी-कोएगुलेंट्स (ब्लड थिनर) – यदि व्यक्ति को अनियमित धड़कन (अरिथमिया) है, तो रक्त को पतला करने के लिए ये दवाइयां दी जाती हैं।

लाइफस्टाइल में बदलाव- भारी व्यायाम और अधिक परिश्रम से बचें। कैफीन और अल्कोहल का सेवन सीमित करें। हेल्दी डाइट अपनाएं, जिसमें कम वसा और अधिक फाइबर हो।

सर्जरी और अन्य उपचार-

सेप्टल मायेक्टॉमी – यह एक सर्जरी है जिसमें मोटी हुई मसल्स का कुछ हिस्सा हटा दिया जाता है।
अल्कोहल एब्लेशन – इसमें एक छोटी मात्रा में अल्कोहल इंजेक्ट करके मोटी मसल्स को पतला किया जाता है।
इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर (ICD) – यह एक डिवाइस है जो अचानक कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में दिल को झटका देकर धड़कन सामान्य करता है।

पारिवारिक हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी यह एक हृदय रोग है जो परिवारों में चलता है और हृदय की मांसपेशियों को प्रभावित करता है। यह हृदय की मांसपेशियों की वृद्धि को नियंत्रित करने वाले कुछ जीन में परिवर्तन के कारण होता है। इससे हृदय की मांसपेशी सामान्य से अधिक मोटी हो सकती है, जिससे हृदय के लिए रक्त को प्रभावी ढंग से पंप करना कठिन हो जाता है। परिवारों में इस स्थिति के प्रबंधन के लिए आनुवंशिक लिंक को समझना आवश्यक है। प्रभावित व्यक्तियों की जल्दी पहचान करके, उचित निगरानी और जीवनशैली में बदलाव करके जटिलताओं के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।

फैमिलियल हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं: छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, थकान, चक्कर आना और दिल की धड़कन तेज होना। कुछ लोगों को बेहोशी या अचानक चक्कर आने का अनुभव हो सकता है हृदय गति रुकना।

यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो उचित निदान और उपचार पाने के लिए चिकित्सकीय सहायता लेना ज़रूरी है। इस स्थिति के साथ स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुरुआती पहचान और प्रबंधन महत्वपूर्ण है। सीने में दर्द या बेचैनी, विशेष रूप से शारीरिक गतिविधि या परिश्रम के दौरान, फैमिलियल हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी का एक सामान्य लक्षण है। सिर में हल्कापन या चक्कर आना, विशेष रूप से तेजी से खड़े होते समय, फैमिलियल हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी का संकेत हो सकता है। सांस लेने में तकलीफ, विशेष रूप से व्यायाम के दौरान या सीधे लेटने पर, फैमिलियल हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी का संकेत हो सकता है।

सामान्य दैनिक गतिविधियों के दौरान भी थकान या असामान्य रूप से थकावट महसूस होना, फैमिलियल हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी का लक्षण हो सकता है। फैमिलियल हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी वाले व्यक्तियों में दिल की धड़कन तेज होना या तेज, फड़फड़ाने या तेज धड़कन की अनुभूति हो सकती है।

हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याएं अब देश में कम उम्र के लोगों में भी तेजी से देखी जा रही हैं। इनके पीछे लोगों के बदलते खानपान और जीवनशैली को प्रमुख कारण माना जा रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक भारत में होने वाली कुल मौतों में से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियां) भी प्रमुख स्थान पर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में स्ट्रोक और हार्ट डिजीज से होने वाली कुल मौतें का पांचवां हिस्सा युवाओं का है। हर साल लगभग 30 लाख लोगों की मौत दुनियाभर में दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियों के कारण होती है। जिसमें भारत के लोगों का भी अहम योगदान होता है। ज्यादातर लोग जिन्हें हार्ट स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्याएं हो रही हैं उनमें से 40 प्रतिशत लोगों की उम्र 55 साल से कम की रहती है। पश्चिमी देशों की तुलना में भारत के लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम अधिक रहता है।
अनुवांशिक कारणों के साथ इन वजहों से भी खतरा बढ़ जाता है –

अत्यधिक गुस्से की वजह से दिल की बीमारी का खतरा: कई अध्ययन और शोध इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि जिन व्यक्तियों में क्रोध यानी गुस्सा बहुत जल्दी आता है उन्हें दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम अधिक होता है। ज्यादा गुस्सा करने वाले लोगों में ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्या भी हो सकती है जिसके कारण दिल से जुड़ी बीमारियां होती हैं।

अत्यधिक दुःख के कारण: बहुत ज्यादा दुःख की स्थिति में रहने वाले लोगों को भी दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम सामान्य लोगों की तुलना में अधिक रहता है। ऐसे लोग जो हर समय दुःख से घिरे रहते हैं उन्हें कई मानसिक बीमारियां हो सकती हैं जिसकी वजह से दिल की बीमारी का जोखिम भी बढ़ जाता है।

डिप्रेशन की वजह से दिल की बीमारी का खतरा: डिप्रेशन की समस्या इंसान को सिर्फ मानसिक रूप से ही नहीं बल्कि शारीरिक रूप से भी परेशान करती है। डिप्रेशन या अवसाद ग्रस्त व्यक्ति को दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा अन्य व्यक्तियों की तुलना में अधिक होता है। कुछ समय पहले डेनमार्क के आरहूस विश्वविद्यालय में हुई शोध के मुताबिक डिप्रेशन की समस्या के कारण व्यक्ति के दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है जिसके बाद उसे दिल से जुड़ी गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।

एंग्जायटी की वजह से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा: अवसाद और एंग्जायटी जैसी समस्याओं के कारण दिल से जुड़ी गंभीर समस्याओं का खतरा बना रहता है। जिन लोगों में लंबे समय से एंग्जायटी और अवसाद की समस्या बनी रहती हैं उन्हें भी कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा ज्यादा होता है। सीएचडी रोगियों में चिंता के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लक्षणों के बारे में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि चिंता शारीरिक कारकों से संबंधित है जैसे कि बिना किसी शारीरिक व्यायाम के धड़कन, चेहरे पर क्रोध और लालिमा, असामान्य दिल की धड़कन और मांसपेशियों में तनाव दिल की बीमारियों के जोखिम को बढ़ाने का काम करता है।

काम का मनोवैज्ञानिक असर: कामकाज के प्रेशर की वजह से भी लोगों में दिल से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। नौकरी का तनाव सीएचडी के जोखिम कारकों के बढ़े हुए स्तर से जुड़ा हुआ है। नौकरी वाले पुरुषों और महिलाओं में कोरोनरी हृदय रोग के जोखिम के बीच संबंध पर एक अध्ययन के मुताबिक कामकाज के प्रेशर और नौकरी न मिलने की वजह से लोगों में कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।

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