नया साल

साल नया पर मन का क्या?

क्या हम अपने जीवन की पूरी दिशा बदल सकते हैं? या हम सिर्फ संकीर्ण, घटिया, अर्थहीन जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं? क्या हम यह सब छोड़ सकते हैं और एक साफ स्लेट के साथ नए सिरे से शुरुआत कर सकते हैं?”

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नया साल तो आ गया, आपने क्‍या प्‍लान किया?

आइए, बात करते हैं 2025 के लिए कुछ ऐसे ही संकल्पों की जो एक व्यक्ति, परिवार के सदस्य और सामाजिक रूप से भी हमें बेहतर मनुष्य बना सकें।

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2025 में यूं अपने आप तो कुछ भी नहीं बदलेगा

उम्‍मीद करें कि नए वर्ष में आप भवानी प्रसाद मिश्र की कविता ‘कुछ लिखकर सो, कुछ पढ़कर सो, जिस जगह सवेरे जागा तू, उससे कुछ आगे बढ़कर सो’ के अंदाज में हर दिन जीते रहें।

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