नदी किनारे जाऊंगा, कुछ तैरूंगा और डूब जाऊंगा…

‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से सम्मानित विनोद कुमार शुक्‍ल की कविताएं हर बार पाठ के साथ सोच, समझ और संवेदना का नया दरवाजा खोलती हैं।

नदी किनारे जाऊंगा, कुछ तैरूंगा और डूब जाऊंगा… जारी >