डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’: भारतीय विद्या का अद्वितीय साधक
डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ का व्यक्तित्व एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाता है कि ज्ञान की खोज और उसके प्रचार-प्रसार में समर्पण और निष्ठा का महत्व कितना बड़ा होता है।
डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ का व्यक्तित्व एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाता है कि ज्ञान की खोज और उसके प्रचार-प्रसार में समर्पण और निष्ठा का महत्व कितना बड़ा होता है।
नेरुदा और उनके जैसे ही अन्य लोगों से हम सीख सकते हैं कि खुद को अभिव्यक्त करने का तरीका और सुनना किसी भी प्रतिरोध के मुख्य घटक हैं।
हम कबीर चाहे न बन पाएं, लेकिन हमें यह एहसास जरूर हो जाता है कि पूरी तरह डूब जाने से ही हम सुंदरता, संगीत, प्रेम और परम को समझ सकते हैं।
बचपन के किस्से मासूमियत की नर्म शॉल में लिपट कर सालों-साल कुनकुने बने रहते हैं। ऐसे ही ढेरों किस्से हम सबकी संदूक में अवश्य तह बने रखे होंगे तो इन तहों को खोलकर बिखेर लीजिए अपने होंठों की मुस्कान बनाकर।
नाटक में मौजूदा संवाद योजना एवं कोमल चेतना प्रमाण है कि चारों ओर तम के बादल होने पर भी अगर भीतर रौशनाई है तो तिमिर हावी न होगा। सध जाएगा काल चक्र और खिल उठेगी उम्मीद की दुनिया फिर एक दिन।
सच यह है कि हमारे शिक्षित होने के बावजूद हर दिन हमारे जागने और सोने के बीच धरती से पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की 250 प्रजातियां विलुप्त हो जाती है। हमारी बाहरी दुनिया चमक-दमक से भरी जा रही है और एक अजीब तरह का अंधेरा, सूनापन हमारे दिलों, हमारे आपसी संबंधों में प्रवेश करता जा रहा है।
पद्मश्री डॉ. सुरजीत पातर जिन्हें पंजाब के युग कवि पुकारा गया और जिन्हें शब्दों का समर्थ कवि की संज्ञा दी गई। उनकी कविताएं भले ही पंजाबी में लिखी गईं लेकिन उनमें सारे जहान की अनुभूति समाहित है और इसी कारण कविताएं अनुवाद के रूप में पंजाब, भारत का दायरा लांघ कर पूरे विश्व में पहुंची हैं।
विगत दिनों एक ऐसी पेंटिंग या कहूं चित्रकृति पर नजर ठिठक गईं जिसमें प्रदर्शित कम हो रहा था मगर जो छुपे हुए अर्थ वह पेंटिंग बताना चाह रही थी उसकी आवाज मुझ तक जाने कैसे पहुंच गई कह नहीं सकता। इस आवाज को आप भी सुनें।
ये दुनिया इंसानों को पढ़कर पहचानने की लाइब्रेरी है। यहां इंसान नाम की किताब फ्री में उपलब्ध है। लेकिन कुछ अपवाद भी हैं। जैसे दुनिया की बेहतरीन पुस्तकें सबकी पहुंच में नहीं वैसे ही बेहतरीन इंसान भी सबको मिल पाना सबके नसीब में नहीं।
आज विश्व पुस्तक दिवस है, हम जैसे पुस्तक प्रेमियों के लिए एक खास दिन। कहने वाले कहेंगे कि क्या किताब पढ़ने का भी कोई एक दिन हो सकता है? नहीं हो सकता है लेकिन जब अपने आसपास मोबाइल में डूबे और 10 से 30 सेकंड की फेसबुक-इंस्टा रील में डूबे युवाओं को देखती हूं तो मुझे लगता है कि किताबों की बात करना कई वजहों से जरूरी है