मैं भंवर में तैरने का हौसला रखने लगा…
जीवन हमेशा अपने भीतर के हौसलों और इच्छाशक्ति के बल पर ही जिया जाता है। जो लोग किसी के सहारे जिंदगी गुज़ारते हैं वे कभी अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाते।
मैं भंवर में तैरने का हौसला रखने लगा… जारी >
जीवन हमेशा अपने भीतर के हौसलों और इच्छाशक्ति के बल पर ही जिया जाता है। जो लोग किसी के सहारे जिंदगी गुज़ारते हैं वे कभी अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाते।
मैं भंवर में तैरने का हौसला रखने लगा… जारी >
यहां एक पहेली भी नज़र आती है जो बारिश के हर्फ़ को उल्टाने की बात कह रही है। बारिश लफ्ज़ जिन तीन हर्फ़ों से मिलकर बना है। उन्हें अगर उल्टा दिया जाए तो वह शराब लफ्ज़ के हर्फ़ों में तब्दील हो जाता है।
बारिश के सब हुरूफ़ को उल्टा के पी गया… जारी >
लियो एक बहुत सामान्य इंसान है। पिता का विराट व्यक्तित्व उसे ढँके रहा जब वह उनसे दूर जाता है तब सही गलत को निष्पक्ष देख पाता है।
बिना चीख चिल्लाहट, हौले से दर्द और भावनाओं को उकेरती फिल्म जारी >
एलिस को यह जानते डर लगता है लेकिन पति को बताने पर वह इसे बहुत हल्के में लेते हैं। डॉक्टर से मिलते हुए भी वह जिस उग्रता से इसके लक्षणों को नकारते हैं।
… अंत में जो बच जाता है वह आँखें भिगो देता है जारी >
जैसे ही दो उंगलियां उठीं, वे उठी ही रह गईं। इसके बाद क्या बोलना है, कुछ याद नहीं आया। घबराहट इतनी थी कि न तो कुछ याद आ रहा था और न ही उंगली नीचे हो रही थी।
जब कवि की उंगली तिलोत्तमा के सामने रुकी रह गई जारी >
अगर अपनी मंज़िल तक पहुंचना है तो इस संजीदगी के साथ सफ़र तय किया जाए कि किसी को पता न चले और आपकी मंज़िल आपके कदमों में हो।
जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो… जारी >
यह जीवन दर्शन से जुड़ा शेर है। जो हमारे भीतर होता है उसे हम देख नहीं पाते और जो सामने दिखता है उसे सही समझ कर ज़िन्दगी भर तड़पते रहते हैं।
हम तरसते ही, तरसते ही, तरसते ही रहे… जारी >
इंसान को अपनी दिनचर्या जागने की तरफ तो ले आती है लेकिन जागने के बाद एक इंसान ऐसा कुछ नहीं कर पाता कि वह ज़िंदा भी महसूस हो।
मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ, ज़िंदा क्यूँ नहीं होता… जारी >
दुनियादारी सिखाते हुए पापा ने कहा- जीवन से बड़ी कोई किताब नहीं, मगर इसे अपनी रोशन नजर से पढ़ना…
दुनियादारी सिखाते हुए पापा ने कहा… जारी >
ये कविताएं प्रेम के होने का उत्सव है। ‘होना’ यानी अस्तित्व। अपने अस्तित्व को पहचान से उपजी अभिव्यक्ति।
‘रास्ते पर चलना’ जीवन में भटक जाने का पर्याय था… जारी >