hindi literature

एक ही घूंट में दीवाने जहां तक पहुंचे…

हर ऊंचाई पर पहुंचकर महसूस होता है कि यह वह ऊंचाई नहीं है जिसकी तमन्ना रही है। तो फिर वहां कैसे पहुंचा जा सकता है?

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‘रास्ते पर चलना’ जीवन में भटक जाने का पर्याय था…

ये कविताएं प्रेम के होने का उत्‍सव है। ‘होना’ यानी अस्तित्‍व। अपने अस्तित्‍व को पहचान से उपजी अभिव्‍यक्ति।

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नीलकांत जी एक व्यक्ति नहीं, एक सतत विचार थे

प्रख्यात जनवादी कथाकार-आलोचक नीलकांत का 14 जून 2025 की सुबह 90 साल की उम्र में निधन हो गया है। वे उस पीढ़ी के कथाकार और आलोचक थे जिनके लिए विचारधारा के विशेष मायने थे।

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जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को…

इसे ज़िन्दगी की ज़रूरियात और इंसानी हक़ों के नज़रिए से समझना नए अर्थ खोलता है। सरपरस्त जब अपनी रिआया को नज़रंदाज़ कर देता है तो उसे कहीं सहारा नहीं मिलता है।

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मंज़िल पर पहुंचने की चाह में रास्तों से गुज़रना भूल जाते हैं…

जो बंदा बंदगी के रंग में डूबता है वह दुनियादारों से कुछ इसीलिए अलग होता है क्योंकि वह अपने भीतर छुपे हुए राज़ को राज़ नहीं रहने देता। वह सब कुछ सामने लाने की हिम्मत करता है।

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अभी तो खुश्क पैरों पे मुझे रिमझिम भी लिखनी है…

दो मिसरों में दो ख़याल बांधते हुए उनमें रब्त कायम करना यह शाइर की ख़ूबी होती है। इस लिहाज से जनाब जसवंत राय शर्मा उर्फ़ नक्श लायलपुरी का यह शेर विराधाभासों में ख़ूबसूरती पैदा करता है।

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इस शेर के ज़रिए बखूबी समझी जा सकती है ‘थ्योरी ऑफ कनेक्टिविटी’

जो बंदा बंदगी के रंग में डूबता है वह दुनियादारों से कुछ इसीलिए अलग होता है क्योंकि वह अपने भीतर छुपे हुए राज़ को राज़ नहीं रहने देता। वह सब कुछ सामने लाने की हिम्मत करता है।

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तेरी गली से गुज़रता हूं इस तरह ज़ालिम…

इस शेर को अगर सिर्फ़ प्रेम के पहलू से देखा जाए तो एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को देखने की चाह में उसकी गली से इस तरह गुज़रने की बात करता है कि उसे ख़बर नहीं होती लेकिन वह उसे छू कर गुज़र जाता है।

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