हमारे लिए ये एक बड़ा सदमा था …

घर पहुंचते ही एक हम सब की एक मीटिंग हुई। प्रश्न था, अब इन्हें कैसे संभालें? एक गाय श्यामा, उसकी बछिया, हमारे घर के आलरेडी सदस्य थे, इसलिए दो और नन्हे सदस्यों का जुड़ना कोई मुश्किल काम भी नहीं था।

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हमने मान लिया, वो आंखें बंद कर सपने देख रहे हैं

घर पहुंचते ही एक हम सब की एक मीटिंग हुई। प्रश्न था, अब इन्हें कैसे संभालें? एक गाय श्यामा, उसकी बछिया, हमारे घर के आलरेडी सदस्य थे, इसलिए दो और नन्हे सदस्यों का जुड़ना कोई मुश्किल काम भी नहीं था।

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पानी भरे खेत, घास के गुच्छे, झुके लोग… मैं मंत्रमुग्‍ध देखता रहा

रास्ते भर मैं मंत्रमुग्ध सा, दूर-दूर तक बरसते पानी, फैले हुए खेत और कमर झुकाए कतार में आगे बढ़ते महिला-पुरुषों को देख रहा था।

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