
कम होने के बेशुमार गम: बाशिंदों के लिए तरस रही दुनिया
क्या यह जीवन के प्रति भयावह मोहभंग की स्थिति है जिसके कारण लोग अनजाने में ही सामूहिक निर्वाण की तरफ बढ़ रहे हैं? बगैर किसी बाहरी आपदा या हिंसा के भी इंसानियत खत्म हो सकती है?
क्या यह जीवन के प्रति भयावह मोहभंग की स्थिति है जिसके कारण लोग अनजाने में ही सामूहिक निर्वाण की तरफ बढ़ रहे हैं? बगैर किसी बाहरी आपदा या हिंसा के भी इंसानियत खत्म हो सकती है?