
भक्ति पर हम जीएन देवी के विचारों से मतभेद व्यक्त करते हैं …
हम समझना चाहते हैं कि यूरोप में जहां ‘रूमानियत’ और ‘आधुनिकता’ की धारणा में धर्म और धार्मिक रूढ़िवाद का कोई स्थान नहीं है, वहीं भारत में ‘रूमानियत’ और ‘आधुनिकता’ के कथित समानार्थी ‘भक्ति’ की धर्म और संप्रदाय तथा उनसे जुड़ी राजनीति में प्रमुख भूमिका क्यों और कैसे हैं ?