मां पूछती, दिन कैसा गया?, मैं झूठ कह देता, बहुत अच्छा
पापा जब शाम को ऑफिस से आते तब मैं किसी किताब को खोल कर बैठ जाता ताकि उन्हें सब बच्चे पढ़ते हुए मिलें और विश्वास कायम रहे कि, “all is well.” मां तो अपने कामों में व्यस्त रहतीं अतः उन्हें भी भनक नहीं लगी।