‘कठघरे में साँसें’: क्‍यों पढ़ें यह किताब?

यह किताब इसलिए पढ़ी जानी चाहिए कि यह लेखक की आत्‍मकथा नहीं उस शहर भोपाल की आत्‍मकथा है जिसने अपने बाशिंदों को बदहवास सड़कों पर दौड़ते देखा है, जो आज भी उन्‍हें दम तोड़ते देख रहा है।

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