
हम लखपति होते-होते बाल-बाल बचे…
पन्ना की जो खासियत मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित करती थी,वो था प्राणनाथ मंदिर का गजर। गजर हर घंटे अपनी टंकार से पन्नावासियों को समय बताता, और हर प्रहर के बदलने की जानकारी भी देता।
पन्ना की जो खासियत मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित करती थी,वो था प्राणनाथ मंदिर का गजर। गजर हर घंटे अपनी टंकार से पन्नावासियों को समय बताता, और हर प्रहर के बदलने की जानकारी भी देता।
पापा के ऑफिस की जो चीज मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित करती वो था हाथ से खींचे जाने वाला पंखा। मेरा दूसरा प्यार था पापा को मिली जीप। मैं हमेशा इस गुंताड़े में रहता कि कैसे इसे चलाएं!
सो बचपन में उस वक्त तक मैंने अपने दो गुणो और दक्षताओं (skills and competencies) को साबित कर दिया था। वालेंटियर होना और डेयरिंग होना जो एक डेवलपमेंट वर्कर की एसेंशियल क्वालिफिकेशंस है।
गुरू पूर्णिमा के शुभ अवसर पर महर्षि वेद व्यास की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले समस्त गुरूओं के सम्मान में समर्पित यह लेख।
इस उम्र में बिना टिकट पकड़े जाने का भय सर पर सवार था। गाड़ी अपनी गति पकड़ चुकी थी, सह-यात्री अपने बिस्तर बिछा कर लेट गए थे। मां–बेटी, अपने गुप्त श्वान के साथ, परदे खींच कर मौन थे। मैं एक मृत्यु–दंड मिले, मुजरिम की तरह, जल्लाद का इंतजार कर रहा था।
आश्चर्य की बात थी कि सेकंड एसी कोच में जीआरपी का कोई जवान नहीं था और पास के अन्य कोच में भी नहीं। जिन पर यात्रियों की जानमाल की हिफाज़त की जिम्मेदारी रहती है।
सुविधाओं के मामले में हम वर्ल्ड क्लास स्टेशनों के उपयोगकर्ता कहलाने लगे हैं लेकिन सुविधाएं दोयम दर्जे की ही हैं। कितना कष्टदायक है कि एक यात्री अपनी गाड़ी के इंतजार में घंटों प्लेटफार्म पर बैठा रहता है और उसे सटीक जानकारी भी नहीं मिल पाती है कि उसकी गाड़ी आखिर कब पहुंचेगी।
सरकार को जनरल कोच में यात्रा करने वाले गरीब यात्रियों का भी सोचना चाहिए, क्योंकि सबसे ज्यादा असुरक्षित वहीं होते हैं।
भारतीय रेलवे यूं तो सुविधाओं को बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रही है लेकिन यात्रियों की बुनियादी समस्याएं जस की तस है। बरसों से वैसी हीं।
आइए, बतौर नागरिक हम एक पहल करें। एक चर्चा की शुरुआत करें। रेलयात्रा की अपनी कथा-व्यथा को साझा करें। शायद हमारी बात कुछ कानों तक पहुंचे।