रेलयात्रा की व्यथा कथा-3: नाम वर्ल्ड क्लास लेकिन रखरखाव का क्लॉज ही नहीं
सुविधाओं के मामले में हम वर्ल्ड क्लास स्टेशनों के उपयोगकर्ता कहलाने लगे हैं लेकिन सुविधाएं दोयम दर्जे की ही हैं। कितना कष्टदायक है कि एक यात्री अपनी गाड़ी के इंतजार में घंटों प्लेटफार्म पर बैठा रहता है और उसे सटीक जानकारी भी नहीं मिल पाती है कि उसकी गाड़ी आखिर कब पहुंचेगी।
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