अपने पिता और संगीत को लेकर दिया गया उस्ताद ज़ाकिर हुसैन का वक्तव्य प्रेरणा है
- टॉक थ्रू टीम
वाह उस्ताद वाह… यह प्रशंसा वाक्य हमने कई बार सुना है। दुनिया के लाखों को श्रोताओं ने उनके तबला वादन को रूबरू सुन, उनके एल्बम को सुन कितनी ही बार कहा है, वाह उस्ताद वाह। लेकिन क्या कभी आपने उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को बोलते हुए सुना है? तबले के पर्याय उस्ताद अल्ला रक्खा के इस विलक्षण बालक के तबला उस्ताद बनने की यात्रा उनके ही वक्तव्य से जानना अनूठा है।
उनके शब्दों के प्रभाव को महसूस करना सचमुच रोमांचित करता है जब वे कहते हैं कि मैंने अपने पिता के बेटे के रूप में संगीत यात्रा शुरू की थी। फिर उनका शिष्य बना, फिर सहायक बना, फिर सहकर्मी बना और अंतत: अपने पिता का मित्र बन गया था। मैं उम्मीद करता हूं कि आप भी अपने गुरु के साथ ऐसा ही नाता विकसित कर पाएंगे। भारतीय विचारधारा मानती है कि गुरु एक बहती नदी है और शिष्य उस ज्ञान गंगा से अपने हिस्से का बाल्टी भर ज्ञान अर्जित कर लेता है।
यहां दिया गया वीडियो वर्ष 2022 का है जब उस्ताद ज़ाकिर हुसैन ग्वालियर आए थे। यहां आईटीएम यूनविर्सिटी ने उन्हें मानद डीलिट उपाधि प्रदान की थी। इस अवसर पर दिया गया उनका वक्तव्य कई मायनों में सीखों से भरा हुआ है। हम साभार उस वीडियो को यहां प्रस्तुत कर रहे हैं।
सच में अनूठा