बंसीलाल परमार, प्रख्यात फोटोग्राफर
अपने शिक्षकीय सेवाकाल के दौरान मैंने पढ़ाया ही नहीं है बल्कि कई तरह के गैरशिक्षकीय कार्य भी किए हैं। इन कार्यों में कई सर्वे कार्य में ड्यूटी शामिल हैं। जनगणना, फोटो परिचय पत्र का कार्य, मतदान के लिए बीएलओ जैसे कार्य भी करने पड़े। इन कार्यों के सिलसिले में घर-घर जाना पड़ता था। अधिकृत रुप से जानकारी पाने के लिए लंबी बातें भी हो जाती। मुझ जैसे व्यक्ति के लिए ये काम महज बोझ नहीं बल्कि कुछ नया जानने, देखने और पा लेना का सुअवसर हुआ करता था।
सर्वे के दौरान अधिकतर घरों में महिलाओं से पूछना होते थे। महिलाओं से बात करने के लिए घर आंगन में कुछ देर बैठना हो जाता था। ऐसे ही सर्वे में एकबार सुवासरा के मीणा मोहल्ले में जाना यादगार अनुभव बन गया। मीणा मोहल्ले के उस घर में मुझे मिला फूटे मटके से बना यह पोर्टेबल चूल्हा। यह महिलाओं के कौशल और जुगाड़ का बेहतर उदाहरण कहा जा सकता है। महिला ने फूटे मटके को औंधा करके उसीका टूटा भाग नीचे रखकर मटके की दीवार के सहारे मिट्टी की परत चिपका कर उसे चूल्हे का आकार दे दिया था। इसकी मदद से वे सर्दियों की धूप में खाना पकाने, नहाने का पानी गर्म करने, सर्दी में तापने जैसे कई छोटे-बड़े काम कर पा रही थीं।
अपनी ड्यूटी पूरी करने गए एक सरकारी कर्मचारी ने मन ही मन नारी की शक्ति को नमन किया और उस चूल्हे का फोटो क्लिक कर लिया।