आखिर, उस रात विनेश फोगाट के साथ हुआ क्या था?

पूजा सिंह

स्‍वतंत्र पत्रकार

हम 29 अगस्‍त को खेल दिवस मनाते हैं। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती। खेलों पर बात करने के लिए इससे उपयुक्त दिन क्या होगा? खासकर तब जबकि ओलंपिक खेल अभी चंद रोज पहले समाप्त हुए हैं। वे खेल जहां कुश्ती मुकाबलों में हमारी पहलवान विनेश फोगाट स्वर्ण पदक के लिए खेले जाने वाले मुकाबले से ठीक पहले अचानक अयोग्य घोषित हो गईं क्योंकि उनका वजन तय मानक से करीब 100 ग्राम अधिक था।

यह खबर सामने आते ही तमाम तरह की चर्चाएं चल पड़ीं। कुछ खेलप्रेमी शोक में थे तो कुछ लोग खुश थे क्योंकि कुछ ही महीने पहले विनेश ने कुश्ती महासंघ पर काबिज कुछ बाहुबली राजनेताओं के कुकर्मों के खिलाफ आवाज बुलंद की थी और पुलिस की लाठियां खाई थीं। कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें आशंका थी कि विनेश को षडयंत्रपूर्वक बाहर किया गया है।

इन तमाम बातों के बीच एक बात जिसे जानने की इच्छा दरअसल सभी के मन में होगी कि उस दुर्भाग्यपूर्ण रात आखिर विनेश के साथ हुआ क्या था? खुशकिस्मती से वरिष्ठ खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार उस समय वहीं मौजूद थे और उन्होंने विनेश के उस पूरे दिन की जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर मुहैया कराई है।

मजूमदार लिखते हैं, “मुकाबलों के पहले दिन विनेश का वजन 49.9 किलोग्राम था। सबकुछ योजना के मुताबिक चल रहा था। वजन करवाने के बाद विनेश ने रिकवरी मील लिया और पानी पिया ताकि वे जापान की युई सुसाकी के खिलाफ मुकाबले में उतर सकें।” ध्यान रहे सुसाकी वही पहलवान हैं जो 82 अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में लगातार जीत के साथ ओलंपिक में आई थीं और निवर्तमान चैंपियन भी थीं।

सुसाकी से जीतने के बाद विनेश को और अधिक ऊर्जा की आवश्यकता थी क्योंकि उनका अगला मुकाबला एक घंटे बाद था।

सेमीफाइनल में प्रवेश करने के बाद विनेश के लिए यह आवश्यक था कि वह क्यूबाई पहलवान से जूझने की तैयारी कर सकें। इसके लिए उन्हें खाने और पीने दोनों की आवश्यकता थी। यही वजह है कि सेमीफाइनल मुकाबला जीतने के बाद अचानक उनका वजन 52.7 किलो हो गया। यह इजाफा अनुमान से कुछ ज्यादा ही था।

यही वह क्षण था जब विनेश का वजन कम करने की कोशिशें शुरू हो गईं। सेमीफाइनल जीतने के 25 मिनट के भीतर विनेश ने अपना वजन किया। मजूमदार लिखते हैं, ‘विनेश मेरे पास आईं। उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया और कहा कि वह फाइनल के बाद मुझे इंटरव्यू देंगी। उसके बाद वह तुरंत वजन करने चली गईं। जाहिर है उनका दिमाग वहीं लगा हुआ था। अपने वजन के तय सीमा से 2.7 किलो अधिक निकलते ही उन्होंने उसे कम करने की कोशिश शुरू कर दी।’

भारी दबाव वाला सेमीफाइनल जीतने के आधे घंटे के भीतर विनेश सोना सूट पहनकर रेसलिंग मैट पर मेहनत करने लगी ताकि वजन कम हो सके। उन्होंने करीब एक घंटे तक अपने कोच के साथ सोना सूट में कुश्ती लड़ी और फिर खेल गांव वापस चली गईं।

वहां नहाने के बाद वह जिम में पहुंचीं क्योंकि कुश्ती एरीना रात को बंद हो चुका था। एयर कंडिशनर चलने के कारण जिम बेहद ठंडा था और वहां पसीना बहाकर वजन कम करना लगभग असंभव था। भारतीय टीम के अनुरोध पर जिम के एसी बंद किए गए। विनेश ने वजन कम करने के लिए जमकर मेहनत शुरू की। उन्होंने साइकिल चलाई, रस्सी कूदी, जॉगिंग की और रात 11 बजे से 2 बजे तक हर वह एक्सरसाइज की जो वजन कम करने में मददगार हो सकती थी। उनकी कोचिंग टीम को यकीन था कि इससे वजन कम हो जाएगा। हालांकि निरंतर मेहनत से विनेश थक रही थीं। सुबह तीन बजे तक विनेश पूरी तरह निढाल हो चुकी थीं। अब उनके शरीर से पसीना निकलना बंद हो चुका था। उनके डॉक्टर इस बात से सतर्क हो गए क्योंकि उनके शरीर में इतना पानी ही नहीं बचा था कि पसीना निकल सके। रात आठ बजे से सुबह दो बजे तक वह बहुत मेहनत कर चुकी थीं।

अब उनके कोच और टीम ने मालिश करके और उनके हाथ-पैर सहलाकर किसी तरह वजन कम करने की कोशिश शुरू की। अब घबराहट शुरू हो चुकी थी। सोना रूम भी सुबह पांच बजे तक के लिए बंद था। भारत के मिशन चीफ गगन नारंग ने सोना रूम खुलवाने की कोशिश की। सुबह 3.30 से चार बजे तक वजन कम करने का हर तरीका अपना लिया गया लेकिन अभी भी विनेश का वजन थोड़ा अधिक था। भारतीय टीम ने ओलंपिक कमेटी जैसी एक वजन करने की मशीन मंगवा ली थी और हर कुछ मिनट पर विनेश का वजन किया जा रहा था।

विनेश किसी भी कीमत पर फाइनल खेलना चाहती थीं। ओलपिंक कमेटी वजन कम करने के तरीके तय नहीं करती इसलिए कई बार खिलाड़ी अनैतिक तरीके तक अपना लेते हैं। विनेश और उनकी टीम ने शरीर को नुकसान पहुंचाने के बजाय समझदारी अपनाई। इस समय तक नारंग ने सोना रूम खुलवा लिया था। यह विनेश के पास अपना वजन कम करने का आखिरी मौका था।

सुबह 6.30 बजे जब विनेश आखिरी बार वजन कराने निकलीं तो उनका वजन 200 ग्राम ज्यादा था। विनेश की सहमति लेकर उनके बाल काटे गए। टीम तो उन्हें गंजा करना चाहती थी लेकिन विनेश ऐसा नहीं चाहती थीं। विनेश के कपड़ों को काट-छांटकर कुछ ग्राम वजन और कम किया गया। डॉ. दिनशॉ पारदीवाला जिन्हें सोशल मीडिया पर इस मामले में खलनायक की तरह बताया गया वह टोक्यो ओलंपिक से विनेश के साथ हैं और उनके स्वास्थ्य को लेकर सबसे अधिक चिंतित थे। विनेश और उनके बीच का रिश्ता भी बहुत गहरा है।

इधर, सबकुछ विनेश के खिलाफ था लेकिन वह किसी चमत्कार की उम्मीद में वजन कक्ष में पहुंचीं। वहां कोई चमत्कार नहीं हुआ और उनका वजन 100 ग्राम अधिक निकला। नारंग समेत भारतीय टीम ने आयोजकों से याचना की कि वजन कम करने के लिए थोड़ा और समय दिया जाए। उनकी योजना थी कि विनेश को थोड़ा पानी पिलाकर आधे घंटे रस्सी कूदने को कहा जाएगा लेकिन नियमों के अनुसार उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिल सकी।

विनेश के शरीर में एक बूंद पानी नहीं बचा था और उनकी जान जोखिम में देख उन्हें तत्काल अस्पताल में दाखिल करवाकर आईवी फ्लूड दिया गया। विनेश वह मेडल नहीं जीत सकीं जिसकी उन्हें और पूरे देश को उम्मीद थी। वह मेडल जिसके लिए उन्होंने बाल और कपड़े काटे, सेमीफाइनल जीतने के बाद अपने कोच के साथ एक घंटे तक कुश्ती लड़ी लेकिन अंत में उनके शरीर का 100 ग्राम वजन उनके सपनों पर भारी पड़ गया। 100 ग्राम वजन कितना होता है? शायद एक पके हुए केले के बराबर, लेकिन यह वजन विनेश को ताउम्र परेशान करेगा।

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