मेंटल हेल्‍थ: थोड़ा रवैया बदलें, ज्‍यादा आर्थिक ताकत दें

World Mental Health Day 2024: सरकारों को बढ़ाना होगा मानसिक स्वास्थ्य पर बजट

– डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी

वरिष्ठ मनोचिकित्सक एवं स्तंभकार

मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, बावजूद इसके कि यह मानव कल्याण और सामाजिक विकास के लिए अत्यधिक आवश्यक है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सीधा असर व्यक्ति की उत्पादकता, जीवन की गुणवत्ता और समाज पर पड़ता है। इसके बावजूद, सरकारें और नीति-निर्माता मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पर्याप्त बजट का आवंटन नहीं करते। मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर, एक मनोचिकित्सक के रूप में मेरा मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट बढ़ाना अति आवश्यक है, ताकि इसे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के रूप में देखा जा सके और सभी तक पहुंच सुनिश्चित हो।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में करोड़ों लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। मानसिक विकारों का बढ़ता हुआ बोझ व्यक्ति के साथ-साथ समाज और अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर असर डालता है। अवसाद, चिंता, बाइपोलर डिसऑर्डर, और अन्य मानसिक बीमारियां व्यक्ति के सामाजिक, व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को प्रभावित करती हैं। भारत जैसे विकासशील देश में, जहां स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही बोझिल हैं, मानसिक स्वास्थ्य को अक्सर प्राथमिकता नहीं दी जाती।

वर्तमान में, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवंटित बजट बेहद कम है। अधिकांश स्वास्थ्य बजट का बड़ा हिस्सा शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे कि टीकाकरण, मातृ-शिशु स्वास्थ्य, और संक्रामक रोगों पर खर्च होता है। हालांकि ये महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की बढ़ती संख्या को नज़रअंदाज करना एक गंभीर भूल है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज और जागरूकता के अभाव में, लोग अक्सर देर से मदद लेते हैं, जिससे उनकी स्थिति और गंभीर हो जाती है।

मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट बढ़ाना इसलिए आवश्यक है ताकि न केवल इलाज सुलभ हो सके, बल्कि इसके बारे में जागरूकता भी फैलाई जा सके। बढ़ा हुआ बजट यह सुनिश्चित करेगा कि अधिक मानसिक स्वास्थ्य केंद्र खोले जा सकें, जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपस्थिति हो और सेवाओं की गुणवत्ता बेहतर हो। इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं में एकीकृत करना होगा, ताकि प्राथमिक स्तर पर ही समस्याओं का निदान हो सके।

बजट बढ़ाने से मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की संख्या भी बढ़ेगी, जो कि वर्तमान में सीमित है। इसके साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज में फैली भ्रांतियों और कलंक को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाए जा सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य में निवेश से न केवल व्यक्ति और समाज को लाभ होगा, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी यह लाभकारी साबित होगा। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश से कार्यक्षमता बढ़ेगी, उत्पादकता में सुधार होगा, और चिकित्सा खर्चों में कमी आएगी। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों को सही समय पर इलाज मिलने से उनकी बीमारी के गंभीर होने की संभावना कम हो जाती है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ कम होता है।

मानसिक स्वास्थ्य को उपेक्षित रखना हमारे समाज और अर्थव्यवस्था के लिए दीर्घकालिक हानि का कारण बन सकता है। यह समय की मांग है कि सरकारें मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट में वृद्धि करें और इसे प्राथमिकता के रूप में देखें। मानसिक स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य केवल जागरूकता फैलाना नहीं, बल्कि वास्तविक बदलाव लाना है। इसके लिए हमें मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना और सभी के लिए सुलभ बनाना आवश्यक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *