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मंज़िल पर पहुंचने की चाह में रास्तों से गुज़रना भूल जाते हैं…

जो बंदा बंदगी के रंग में डूबता है वह दुनियादारों से कुछ इसीलिए अलग होता है क्योंकि वह अपने भीतर छुपे हुए राज़ को राज़ नहीं रहने देता। वह सब कुछ सामने लाने की हिम्मत करता है।

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साथ-साथ चलने चाहिए वैचारिक स्वतंत्रता और जनसंघर्ष

जर्मनी के उदाहरण में भी, जो बुद्धिजीवी नाज़ियों के साथ ‘समझौता’ करते रहे, वे अंततः उसी व्यवस्था के शिकार हुए। इसलिए, वैचारिक स्वतंत्रता और जनसंघर्ष दोनों साथ-साथ चलने चाहिए।

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सत्यजीत रे: स्त्रियों को ऊँचा करने के लिए पुरुषों को कमतर नहीं आँका

सत्यजीत की फिल्मों में स्त्री वस्तु नहीं है, वह सज्जा की सामान भी नहीं है। वहाँ महिलाओं के अधिकारों को बरकरार रखने की जद्दोजहद है लेकिन पुरुषों की कीमत पर नहीं।

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जब वास्तविकता और कल्पना के बीच अंतर करने में कठिनाई हो

स्किट्ज़ोफ्रीनिया के लगभग 20 प्रतिशत नए मामले 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होते हैं। ये मामले पुरुषों में अधिक होते हैं। बच्चों में स्किट्ज़ोफ्रीनिया दुर्लभ है लेकिन संभव है।

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हे मेरे मरण, आ और मुझसे बात कर

अहा! उसकी वे स्नेह भरी आँखें! आँखे भर क्यों? चेहरा, देह, देह का रोम-रोम जिस स्नेह से, जिस प्रेम से भरा है। खासकर तब, जब वह अपनी बेटी को गले लगा रहा है! पीछे ही वह दूत प्रतीक्षा में है जिसके साथ उसे उस पार चले जाना है।

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दक्षिण भारत में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई हर समुदाय में क्‍यों इस विवाह का चलन?

उत्तर भारत में एक ही परिवार में कम शादियां होने का एक कारण गोत्र है। यहां एक जाति में तो शादी हो सकती है लेकिन एक गोत्र में नहीं। यहां के लोग मानते हैं कि एक गोत्र वाले लोगों के पूर्वज भी एक ही होते हैं, लेकिन दक्षिण भारत में गोत्र के आधार पर शादी का ट्रेड नहीं है।

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काम में आनंद ढूंढना और आनंद से काम करना, जिनका जीवन दर्शन

आज हम बात कर रहे हैं ऑर्गेनिक संवाद को बनाए रखने के लिए गठित प्रोफेशनल्स के समूह संवाद और संपर्क की। इस ग्रुप में के सदस्‍य बंद दरवाज़ों के लोग नहीं हैं बल्कि ये सब फ्रेश हवा की दुनिया के लोग हैं।

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अभी तो खुश्क पैरों पे मुझे रिमझिम भी लिखनी है…

दो मिसरों में दो ख़याल बांधते हुए उनमें रब्त कायम करना यह शाइर की ख़ूबी होती है। इस लिहाज से जनाब जसवंत राय शर्मा उर्फ़ नक्श लायलपुरी का यह शेर विराधाभासों में ख़ूबसूरती पैदा करता है।

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एक कवि की उपस्थिति में उगता है नववर्ष का पहला सूर्य!

मेरा कहने का अर्थ है कि क्या आपका संस्थान लोगों को नौकरी देते वक्त या आप अपनी टीम चुनते वक्त यह ध्यान में रखते हैं कि उसमें समाज के सभी तबकों-जातियों और वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व हो सके?

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मेरिट यानी योग्यता: भ्रम या सचाई?

मेरा कहने का अर्थ है कि क्या आपका संस्थान लोगों को नौकरी देते वक्त या आप अपनी टीम चुनते वक्त यह ध्यान में रखते हैं कि उसमें समाज के सभी तबकों-जातियों और वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व हो सके?

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