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एक थे विषपायी जी…ऐसे कुछ लोग ही मिले

विषपायी जी ने कबीर की तरह जीवन जिया। उनके पत्र और साहित्‍य लेखन का इतना प्रभाव रहा है कि उनके निधन पर प्रख्‍यात कहानीकार-संपादक राजेद्र यादव ने ‘हंस’ के संपादकीय के एक कालम में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी।

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बारिश के सब हुरूफ़ को उल्टा के पी गया…

यहां एक पहेली भी नज़र आती है जो बारिश के हर्फ़ को उल्टाने की बात कह रही है। बारिश लफ्ज़ जिन तीन हर्फ़ों से मिलकर बना है। उन्हें अगर उल्टा दिया जाए तो वह शराब लफ्ज़ के हर्फ़ों में तब्दील हो जाता है।

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जिन्‍हें सुन अभंग याद आता है, जोहार माय बाप,जोहार माय बाप

यह कहा जा सकता है कि सांगीतिक डोमेन में राग की छवि का रूपांतरण का कीमिया एक गणितीय प्रक्रिया है जो एक जटिल सिग्नल को उसके मूल आवृत्ति घटकों में विभाजित करता है।

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… अंत में जो बच जाता है वह आँखें भिगो देता है

एलिस को यह जानते डर लगता है लेकिन पति को बताने पर वह इसे बहुत हल्के में लेते हैं। डॉक्टर से मिलते हुए भी वह जिस उग्रता से इसके लक्षणों को नकारते हैं।

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भेद मिटाता श्‍मशान! दोगले समाज की तस्‍वीर

काश कि मरघट में हिलौर मारने वाले श्‍मशान वैराग्‍य की तरह यह चिंतन भी तात्‍कालिक न हो, जरा अधिक देर हमारे भीतर उथल-पुथल मचाए। काश!

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शरद पूर्णिमा में रास: हिय प्रेम का ताप उपजावे

वृंदावन के निधिवन में राधा-कृष्ण के महारास की गाथा सुनाई जाती है। मान्यता के अनुसार, निधिवन में रात के समय राधा और कृष्ण महारास के लिए आते है।

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ताक पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश, मौत कैसे रूके?

हिरासत में मौत एक सार्वभौमिक समस्या है और इसे बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के बाद उल्लंघन का सबसे क्रूर रूप माना गया है।

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नेपाल का जेन ज़ी विद्रोह: अगर संविधान को मजबूत कर दे…

केवल सत्ता परिवर्तन या उपद्रव की तीव्रता काफी नहीं; ज़रूरत है कि इस चेतना को संस्थागत रूप देने की।

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‘एक था जाँस्कर’… वो भी तो कभी देख जो मंज़र में नहीं है

अजय सोडानी ने तो पूरा वृत्‍तांत इतनी खूबसूरती, इतनी तल्‍लीनता से लिखा है कि पाठक भी उनका सहयात्री बन उसी लम्‍हें में जीने लगता है। मेरे साथ भी यही हुआ। किताब पढ़ते-पढ़ते सहसा महसूस हुआ कि ‘एक था जाँस्कर’ की रचना प्रक्रिया जाननी चाहिए। इस सवाल से आरंभ हुआ एक रोचक संवाद।

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