संविधान जिसने भारत और पाकिस्तान में गहरा अंतर पैदा किया
भारत ने आज़ादी मिलने के बाद इसे संवैधानिक दायित्वों का आवश्यक अंग बनाया। सांवैधानिक आदर्शों और भारतीय मूल्यों का असर भारत और पाकिस्तान की नई पीढ़ी और लोगों में देखने को भी मिलता है।
भारत ने आज़ादी मिलने के बाद इसे संवैधानिक दायित्वों का आवश्यक अंग बनाया। सांवैधानिक आदर्शों और भारतीय मूल्यों का असर भारत और पाकिस्तान की नई पीढ़ी और लोगों में देखने को भी मिलता है।
सीपीआई (एम) की 24 वीं कांग्रेस के वक्त कुछ खास कारणों से हमें भारतीय वामपंथ के सबसे प्रमुख दल की संरचना और उसकी भूमिका में कुछ वास्तविक, नए परिवर्तनों की आशा के संकेत दिखाई देते हैं।
यह अंततः एक बायोपिक है जिसे देख कर आप उसकी प्रमुख पात्र से सहानुभूति अधिक और निंदा कम के भाव से बाहर आते हैं।
हाइपोथैलेमस हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। यह हमारे मस्तिष्क का एक छोटा सा हिस्सा है, जो तंत्रिका तंत्र और हार्मोन के बीच संचार बनाए रखता है। शरीर की धड़कन, तापमान, भूख-प्यास, हमारा मूड सब यहीं से तय होता है।
जिनकी प्रेम की निगाहें होतीं हैं वे बहुत दूर तक देखते हैं तारों को पढ़ते रहते हैं। जैसे प्रेम का सूत संकेतों की भाषा में काता जाता है, फिर प्रेम संबंध की गुंथी हुई डोर बनती है, आप किसी से आबद्ध होते हैं, उसी तरह प्रकृति भी आपकी प्रेयसी है।
यह किताब इसलिए पढ़ी जानी चाहिए कि यह लेखक की आत्मकथा नहीं उस शहर भोपाल की आत्मकथा है जिसने अपने बाशिंदों को बदहवास सड़कों पर दौड़ते देखा है, जो आज भी उन्हें दम तोड़ते देख रहा है।
उसकी हालत देखकर लग रहा था कि इस वक्त कोई ऐसा होना चाहिए इसके पास जो प्यार से कुछ पूछ भर दे…नरमाहट से हथेलियों को थाम ले… सर पर हाथ फिरा दे…।
शुरुआत में यह सोचा भी नहीं था कि एक शहर को खड़ा करने में इतने कलमकारों का हाथ हो सकता है। इस पुस्तक में अपने घर के रचनाकारों पर लिखने की कोशिश में यह भी पता चला कि मेरा शहर तो बहुत सौभाग्यशाली है।
‘मृत्युंजय’, ‘नटसम्राट’ और ‘अंधा युग’ के अश्वत्थामा में आलोक भाई ने अभिनय की उत्कृष्ट मिसाल पेश की। आलोक चटर्जी का जाना देश के रंगमंच से अभिनय के आलोक का स्याह हो जाना है।
इस पुस्तक में युवा साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने अपने शहर ‘रतलाम’ के 56 रचनाकारों के कविकर्म से परिचित करवाने का बेहद अहम् कार्य किया है।