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… अंत में जो बच जाता है वह आँखें भिगो देता है

एलिस को यह जानते डर लगता है लेकिन पति को बताने पर वह इसे बहुत हल्के में लेते हैं। डॉक्टर से मिलते हुए भी वह जिस उग्रता से इसके लक्षणों को नकारते हैं।

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भेद मिटाता श्‍मशान! दोगले समाज की तस्‍वीर

काश कि मरघट में हिलौर मारने वाले श्‍मशान वैराग्‍य की तरह यह चिंतन भी तात्‍कालिक न हो, जरा अधिक देर हमारे भीतर उथल-पुथल मचाए। काश!

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शरद पूर्णिमा में रास: हिय प्रेम का ताप उपजावे

वृंदावन के निधिवन में राधा-कृष्ण के महारास की गाथा सुनाई जाती है। मान्यता के अनुसार, निधिवन में रात के समय राधा और कृष्ण महारास के लिए आते है।

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ताक पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश, मौत कैसे रूके?

हिरासत में मौत एक सार्वभौमिक समस्या है और इसे बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के बाद उल्लंघन का सबसे क्रूर रूप माना गया है।

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नेपाल का जेन ज़ी विद्रोह: अगर संविधान को मजबूत कर दे…

केवल सत्ता परिवर्तन या उपद्रव की तीव्रता काफी नहीं; ज़रूरत है कि इस चेतना को संस्थागत रूप देने की।

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‘एक था जाँस्कर’… वो भी तो कभी देख जो मंज़र में नहीं है

अजय सोडानी ने तो पूरा वृत्‍तांत इतनी खूबसूरती, इतनी तल्‍लीनता से लिखा है कि पाठक भी उनका सहयात्री बन उसी लम्‍हें में जीने लगता है। मेरे साथ भी यही हुआ। किताब पढ़ते-पढ़ते सहसा महसूस हुआ कि ‘एक था जाँस्कर’ की रचना प्रक्रिया जाननी चाहिए। इस सवाल से आरंभ हुआ एक रोचक संवाद।

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होबोसेक्‍सुअलिटी: महंगी सिटी में रहने की जुगाड़!

शहर की इस आर्थिक तंगी और एकाकी जीवनशैली के बीच, सोशल मीडिया और न्यूज प्लेटफॉर्म पर कुछ नए ट्रेंड तेजी से उभर रहे हैं। ऐसा ही एक रिश्ता है होबोसेक्सुअलिटी।

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मुख्यमंत्री को मुस्लिम टोपी पहनाने की कोशिश क्यों हुई?

धर्म और राजनीति को मिलाना खतरनाक है। इस्लाम भी कहता है कि किसी पर धर्म थोपना गुनाह है। नीतीश कुमार का टोपी न पहनना उनका व्यक्तिगत अधिकार है। इसे चुनावी हथियार बनाना न तो बिहार के मुसलमानों के हित में है और न ही लोकतंत्र के लिए सही संदेश है।

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सोचिए, माखन चोर नाम में क्‍या रखा है?

हमारे विनम्र अभिमत में भगवान श्रीकृष्ण के प्रादुर्भाव से लेकर उनके चरित्र और लीलाओं पर किसी अलग ढंग से विचार करना ना तो समीचीन कहा जाएगा और ना ही उचित।

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