बाल कविता: प्यारे-प्यारे लप्पूजी
मम्मा इनकी मोटी ताजी/ पापा है भाई गप्पूजी/ किसे पता है बोलो-बोलो/ कौन है अपने झप्पूजी?
बाल कविता: प्यारे-प्यारे लप्पूजी जारी >
मम्मा इनकी मोटी ताजी/ पापा है भाई गप्पूजी/ किसे पता है बोलो-बोलो/ कौन है अपने झप्पूजी?
बाल कविता: प्यारे-प्यारे लप्पूजी जारी >
ये दुनिया इंसानों को पढ़कर पहचानने की लाइब्रेरी है। यहां इंसान नाम की किताब फ्री में उपलब्ध है। लेकिन कुछ अपवाद भी हैं। जैसे दुनिया की बेहतरीन पुस्तकें सबकी पहुंच में नहीं वैसे ही बेहतरीन इंसान भी सबको मिल पाना सबके नसीब में नहीं।
इंसानों को पढ़कर पहचानने की लाइब्रेरी है ये दुनिया जारी >
आज विश्व पुस्तक दिवस है, हम जैसे पुस्तक प्रेमियों के लिए एक खास दिन। कहने वाले कहेंगे कि क्या किताब पढ़ने का भी कोई एक दिन हो सकता है? नहीं हो सकता है लेकिन जब अपने आसपास मोबाइल में डूबे और 10 से 30 सेकंड की फेसबुक-इंस्टा रील में डूबे युवाओं को देखती हूं तो मुझे लगता है कि किताबों की बात करना कई वजहों से जरूरी है
जो किताबें पढ़कर बिगड़े वो जीवन में इंसान बन गये जारी >
ताल और पहाड़ियों के शहर भोपाल की खूबसूरती यहां के पंछियों से भी है। बीते दिनों भोज वेटलैंड मे व्हाइट स्टार्क या श्वेत राजबक के भी दर्शन हो ही गए। भोपाल मे इसका दिखना दुर्लभ है।
व्हाइट स्टॉर्क से पूछ ही लिया, लिपिस्टिक लगाए हो? जारी >
बॉम्बे हाईकोर्ट ने देर रात बयान दर्ज करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की आलोचना की। कोर्ट ने कहा है कि ईडी सोने का अधिकार छीनकर किसी व्यक्ति का रात में बयान दर्ज नहीं कर सकती: इसके बाद राइट टू स्लीप को लेकर एक नई बहस शुरू हो गयी है।
ईडी ऐसी पूछताछ रोको, उसे जरा सोने दो जारी >
पंछी बनूं उड़ती फिर नील गगन में… यह एक गाने की पंक्ति भर नहीं है बल्कि लगभग हर इंसान ने अपने जीवन में एक बार तो ऐसा सोचा ही होगा। शायद यही कारण है कि पंछियों की दुनिया हमें बहुत
Did you do it पूछता है यह खास पक्षी जारी >
चमकीले काले रंग का ब्लैक ड्रोंगो पंछियों की दुनिया का आक्रामक पक्षी है। इसकी निडरता, हौसला और आक्रामकता के कारण इसे जंगल का कोतवाल कहा जाता है।
अपनी फितरत से जो है जंगल का कोतवाल जारी >
इन दिनों जबकि प्रोपगंडा आधारित फिल्मों का बोलबाला है, इस फिल्म की खूबसूरती यही है कि यह फिल्म इतिहास के एक ऐसे घटनाक्रम से दर्शकों को रूबरू कराती है जिसके बारे में उन्हें कुछ खास नहीं पता है।
केवल सच की घुट्टी से तोड़ा जा सकता है झूठ का नशा जारी >
राम मर्यादा पुरुष थे। ऐसा रहना उन्होंने जान-बूझकर और चेतन रूप से चुना था। बेशक नियम और कानून आदेश पालन के लिए एक कसौटी थे। लेकिन यह बाहरी दबाव निरर्थक हो जाता यदि उसके साथ-साथ अंदरूनी प्रेरणा भी न होती।
राम को इस तरह भी समझिए… जारी >
लोगों की पसंद और मजहब के तथाकथित प्रहरियों के द्वारा तय किये जा रहे मापदंडों के बीच किसी तरह संतुलन बनाते हुए लेकिन अंतत: अपने संगीत में रमे हुए चमकीले की कहानी जानने योग्य और चौंकाने वाली है।
अमर सिंह चमकीला फिल्म के बहाने जारी >