चीजों को होने देने के इंतजार का धैर्य और उन पर खामोश नजर

  • कविता वर्मा

लेखक साहित्‍यकार हैं।

1 thought on “चीजों को होने देने के इंतजार का धैर्य और उन पर खामोश नजर”

  1. अच्छा लिखा है। ऐसी फिल्म भी बन रही है। यह सुखद है।

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