बचपन को किताबों से जोड़ें क्योंकि किताबें बहुत कुछ कहना चाहती हैं
किताबें बच्चों को असली दुनिया का तर्जुबा देती हैं। उन्हें आगे चलकर जिन चीजों से निपटना है उनका अनुभव वे किताबें पढ़कर पहले ही पा सकते हैं।
किताबें बच्चों को असली दुनिया का तर्जुबा देती हैं। उन्हें आगे चलकर जिन चीजों से निपटना है उनका अनुभव वे किताबें पढ़कर पहले ही पा सकते हैं।
बनारस, काशी, वाराणसी। जितने नाम, उतने उससे नाते। लाखों लोग यहां आते हैं और लौटते हैं तो अपना एक अंश यहीं छोड़ जाते हैं। साथ ले जाते हैं मन भर बनारस।
जब-जब आप किसी को मुस्कराते देखें तो हार्वी बाल को जरूर याद करें जिन्होंने मुस्कान को एक नया चेहरा दिया।
This journey is a form of spiritual practice, where one encounters the fleeting nature of life and the timelessness of love.
मणि मोहन जी प्रकृति और परिवेश को जिन साधारण शब्दों से विशिष्ट भाव रूप में उकेर देते हैं उतनी ही दक्षता से कैमरे के जरिए फोटो पर भी उतार देते हैं।
फोटोग्राफर बंसीलाल परमार जी के पढ़ाने का तरीका जितना वैज्ञानिक था, फोटोग्राफी उतनी ही मानवीय दृष्टिकोण से पगी हुई।
दाम के हिसाब से महंगी चाय दुनिया के किसी भी कोने में मिले, हमारे लिए तो सबसे खास, सबसे कीमती चाय वह है जिसे पीने के अरमान बने रहें और मौका मिलते ही हम कह उठें, चलो चाय पीते हैं।
एक-दो नहीं, लगभग आधा सैकड़ा से अधिक शिव मंदिर, जिन्हें आठवीं शताब्दी की कारीगरी का उत्कृष्ट नमूना कहेंगे। यह ‘बटेसर मंदिर समूह’ ख़जुराहो मंदिर से भी तीन सौ वर्ष पूर्व के बने हैं। हर दीवार व पत्थर को बारीकी से तराश कर बनाई गई बेशकीमती वास्तुशिल्प अपने होने पर इतराती, इठलाती खड़ी हो जैसे।
आज दुनिया भर मातृ दिवस यानी मदर्स डे मना रही है। मां के नाम रखे गए इस खास दिन कुछ तस्वीरों में मां की झलक।
शब्दों और तस्वीरों का मिला जुला रंग हमें खुद से, अपनी यादों से जोड़ता है। हमरंग में उसी शाम का रंग जो हमारी अपनी है। हमारी यादों वाली शाम। हमारे अहसासों वाली शाम।