क्‍या चेहरे पर लिखा है, आओ और मूर्ख बनाओ…

हमारे लिए किसी दिन की क्‍या जरूरत है? हमें तो कोई भी, कोई गैर भी, कोई अपना भी, कभी भी मूर्ख बना सकता है। हमें कोई और कहां मूर्ख बनाता है? हम खुद ही खुद को ठगते हैं। हर बार मूर्ख साबित होने के बाद हमारे मन का हीरामन एक कसम खाता है और फिर वही हीरामन अपनी कसम भूल जाता है।

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कम होने के बेशुमार गम: बाशिंदों के लिए तरस रही दुनिया

क्या यह जीवन के प्रति भयावह मोहभंग की स्थिति है जिसके कारण लोग अनजाने में ही सामूहिक निर्वाण की तरफ बढ़ रहे हैं? बगैर किसी बाहरी आपदा या हिंसा के भी इंसानियत खत्म हो सकती है?

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बी 12: आखिर यह माजरा क्‍या है…

विटामिन बी-12 की खोज का श्रेय अमेरिकी वैज्ञानिक मिनोटा और मरफ़ी को जाता है, जिनको 1934 में नोबेल पुरस्कार भी मिला था। प्रयोगशाला में बी-12 बनाने में सफलता 1973 में हासिल हुई थी, जिसमें अनेक देशों के वैज्ञानिकों के प्रयास शामिल थे!

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फैंड्री: सिर्फ सिनेमा नहीं, समाज का आईना

‘फैंड्री’ फिल्म ने एक बार फिर याद दिलाया कि जिंदगी अमर चित्रकथा जैसी बिल्कुल नहीं है। शहरों में पले बढ़े युवाओं को ‘फैंड्री’ के गांव को देखकर झटका सा लगता है। वह फिल्मों में नजर आने वाला कोई यूटोपियन गांव नहीं है।

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तुमको सुना तो ये ख्‍याल आया…

फिल्में समय के साथ अपने विषय और संगीत को बदलती रहती हैं। इसे संयोग भी कहा जा सकता है कि फिल्मी संगीत के पुरोधाओं के बीच हमारे पास कुछ गीत एकदम अलग आवाज़ के गैर फिल्मी अनुभव वाले भी हैं।

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मालवा का स्‍वाद: बेसन गट्टे बनने के पहले बालभोग

जब भी घर पर मां बेसन गट्टे बनाती थी हम चौके चुल्हे के आसपास मंडराते रहते थे। बेसन में मिर्च-मसाला और मोइन डाल जब लकड़ी के पाटले पर दोनों हाथों से बेलनाकार बना कर उन्‍हे उबला जाता तो हमारे मुंह में स्‍वाद घुल जाता।

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