मनरंग

हे मेरे मरण, आ और मुझसे बात कर

अहा! उसकी वे स्नेह भरी आँखें! आँखे भर क्यों? चेहरा, देह, देह का रोम-रोम जिस स्नेह से, जिस प्रेम से भरा है। खासकर तब, जब वह अपनी बेटी को गले लगा रहा है! पीछे ही वह दूत प्रतीक्षा में है जिसके साथ उसे उस पार चले जाना है।

हे मेरे मरण, आ और मुझसे बात कर जारी >

… जैसे किसी को सदियों बाद अपनी प्रेमिका की चिट्ठी मिल गई हो

जब कोई प्रेम कविता लिखी जाती है तो उसमें महुआ का नाम भले न हो लेकिन उसकी गंध ज़रूर होती है। वह हर प्रेम की तह में बैठा होता है, जो सब जानता है लेकिन कहता कुछ नहीं।

… जैसे किसी को सदियों बाद अपनी प्रेमिका की चिट्ठी मिल गई हो जारी >

ये माह-ए-रमजान है मेरे बच्‍चे, मैं चाहती हूं कि तुम…

तुम्हारी गलती नहीं है, किसी ने भी तुम्हें ये बताया ही नहीं कि तुम्हारा धर्म क्या है, मानसिक ग़ुलामी से अभी तुम हजारों कोस दूर हो क्यूंकि सत्य हैं कि ईश्वर ने तुम्हें सिर्फ इंसान बनाकर भेजा था…हिंदू या मुसलमान नहीं!

ये माह-ए-रमजान है मेरे बच्‍चे, मैं चाहती हूं कि तुम… जारी >

इश्‍क रूहानी: क्‍यों मैंने ताजमहल नहीं देखा…

मैं अक्‍सर जिद किया करता था, मुझे आगरा जाना है। समझाइश मिलती, छुट्टियों में जाएंगे। कई छुट्टियां आईं और गईं। मैं कई जगह गया। मगर राह में आगरा आया ही नहीं।

इश्‍क रूहानी: क्‍यों मैंने ताजमहल नहीं देखा… जारी >

मैं हौले-हौले चलती हुई जिंदगी की शैदाई हूँ!

मैं धीमी रफ्तार से चलती इस जिंदगी में ठहरकर हर शय को इत्मीनान से देखती हूँ। मेरी ये धीमी सी भीतरी दुनिया बहुत शांत है। दुनिया जिस पर बाहरी दुनिया की बेरुखी का कोई फर्क नहीं पड़ता। दुनिया जिसमें कहीं पहुँचने, कुछ होने की कोई होड़ नहीं है।

मैं हौले-हौले चलती हुई जिंदगी की शैदाई हूँ! जारी >

यदि यह उम्मीद है तो काश पूरी हो गई हो

उसकी हालत देखकर लग रहा था कि इस वक्त कोई ऐसा होना चाहिए इसके पास जो प्यार से कुछ पूछ भर दे…नरमाहट से हथेलियों को थाम ले… सर पर हाथ फिरा दे…।

यदि यह उम्मीद है तो काश पूरी हो गई हो जारी >

साल नया पर मन का क्या?

क्या हम अपने जीवन की पूरी दिशा बदल सकते हैं? या हम सिर्फ संकीर्ण, घटिया, अर्थहीन जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं? क्या हम यह सब छोड़ सकते हैं और एक साफ स्लेट के साथ नए सिरे से शुरुआत कर सकते हैं?”

साल नया पर मन का क्या? जारी >

कवि, चित्रकार, किस्सागो, यायावर और प्रेमी इसे बारम्‍बार देखें

मधुबन कॉटेज केवल एक गंतव्य नहीं है; यह एक जीवनशैली है। इसने मुझे धीमा होना सिखाया है, छोटे-छोटे क्षणों का आनंद लेना सिखाया है, और सादगी में खुशी पाना सिखाया है, अपनी शाश्वत सुंदरता और शांत आकर्षण के साथ।

कवि, चित्रकार, किस्सागो, यायावर और प्रेमी इसे बारम्‍बार देखें जारी >

जो डूबा सो पार…इब्तिदा में ही रेह गए सब यार

शारीरिक तौर पर दिमाग से दिल की भौतिक दूरी सिर्फ 18 इंच के करीब होती है पर उसे पूरा करने में अक्सर जिंदगी बीत जाया करती है।

जो डूबा सो पार…इब्तिदा में ही रेह गए सब यार जारी >

उस दिन यह अहसास हुआ कि जाने वाला कहीं नहीं जाता

आबिदा के सूफी कलाम और पंडित जसराज के राग सुनती हूं तो पिता जीवंत हो जाते हैं। सब कलाकारों, सूफियों, अवधूतों से मेरी पहचान करवाने वाले वही थे।

उस दिन यह अहसास हुआ कि जाने वाला कहीं नहीं जाता जारी >