स्‍वाद आस्‍वाद: गुजरात के ढोकलों से अलग है मालवा के ढोकले

फोटो व आलेख: बंसीलाल परमार, प्रख्‍यात फोटोग्राफर

डग-डग रोटी और पग-पग नीर वाले मालवा के कई चेहरे हैं। परिचय का एक चेहरा यहां की बोली की मिठास और आहार के स्‍वाद का है। मालवा का अपना खास स्‍वाद है। पड़ोसी राज्‍य गुजरात और राजस्‍थान का सिग्‍नेचर फूड भी मालवा में आ कर यहां का स्‍वाद पा कर इठला गया है। घरों में बनने वाला आहार हो, होटल पर मिलने वाले व्‍यंजन या आयोजनों की रसोई, स्‍वाद के कई रंग है और कई परतें। ये परतें यादों से जुड़ी हैं, ये यादें आधुनिक हो रही हैं।

मालवा में मक्का ढोकले बड़े प्रचलित रहे हैं। इनदिनों इनका बनना जरूर कम हो गया लेकिन एक दौर था जब ये हर-घर में बार-बार बना करते थे। विशेषकर सर्दियों में मक्का के ढोकले बनाये जाते थे। जब हम ढोकला कहते हैं तो इसका मतलब गुजरात के प्रसिद्ध खमण ढोकला नहीं होता है। मालवा का मक्‍का ढोकला गुजरात के खमण ढोकला से भिन्न है।
मालवा के प्रख्‍यात मक्‍का ढोकला बनाने के लिए मक्का के आटे को साजी या पापड़ खार के गर्म पानी और चने की दाल डाल कर बाटी की शक्ल का आकार दिया जाता है। इन्‍हें भाप द्वारा पकाया जाता है। भाप में पके ढोकले को कच्चा तेल (मूंगफली या तिल तेल) डाल कर खाते थे।

आज भी विधि वही है, बस भाप में पकाने के उपकरण बदल गये हैं। मेरी मां जब ढोकले बनाती थी तब सूखा और साफ चारा लाने को कहती थी। बड़ी भगोनी में भाप बने इतना पानी डाल कर उसमें चारा रखा जाता था। चारा इस तरीके से रखा जाता था ताकि मक्‍का के आटे के कच्‍चे ढोकलों का पानी से संपर्क भी न हो और वे भाप से पक भी जाएं। ढोकलों के पकने बाद उन पर चिपका चारा हटा लिया जाता था।

अब समय बदल गया है। अब घास की जरूरत नहीं है। बर्तन भी बदी गए है। आज ढोकलों को पकाने का काम स्टीमर बर्तन से करते हैं जो अक्सर खमण, इडली आदि को पकाने में किया जाता है।

मगर दिल तो वह बरसों पुराना स्‍वाद और ढोकलों का रूपरंग खोजता है। वह न जाने क्यों आधुनिक बर्तनों में पके ढोकले में वो खास महक और स्वाद नहीं पाता जो उस समय आता था। समय के साथ वह स्‍वाद जैसे खो गया है। याद रखें चम्मच से डाला नमक कम ज्यादा हो सकता है पर चुटकी से डाला नमक कभी कम ज्यादा नहीं होता, हाथ का स्पर्श जो है!

One thought on “स्‍वाद आस्‍वाद: गुजरात के ढोकलों से अलग है मालवा के ढोकले

  1. बहुत सुंदर जीवन से जुडे़ वह व्यंजन जिन्हे हम फास्ट फूड्स के नाम पर विस्मृत कर चुके ।एक बार बनाकर कर तो देखे हैं ये कितने स्वादिष्ट पौष्टिक तथा सेहत हेतु ऋतु अनुकूल है ।हमारे पूर्वज कैलोरी वैलोरी नहीं जानते पर भाप से पका भोजन तत्वो की गुणवत्ता बनाकर कम खर्च में अधिक ऊर्जा पाते थे अपनायें और सेहत पाये
    आभार जिन्होंने हमारी इस आत्माभिव्यक्ति का प्रसारण किया मेरा यह क्रम जारी रहेगा

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