जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो…

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1 thought on “जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो…”

  1. डा कारुलाल जमडा 'कारुण्य'

    बहुत अच्छे और गहरे मायने हैं पढ़ने और समझने हेतु।वह भी सैद्धांतिक दृष्टि से। व्यवहार में सभी लोग दिखलाना चाहते हैं, प्रचार-प्रसार खुद न करें तो दूसरों से भी करवाते हैं। इस पहलू से परे लोगों के बारे में सोचा भी क्यों जाए? बाप-बेटे और गधेकी कहानी से हम सभी वाकिफ हैं। कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना।
    अंततः —“अपनी मढी़ आप मैं डोलूं, खेलूं सहज स्व इच्छा।”—कबीर

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