शरद पूर्णिमा में रास: हिय प्रेम का ताप उपजावे

  • अनुजीत इकबाल, लखनऊ

1 thought on “शरद पूर्णिमा में रास: हिय प्रेम का ताप उपजावे”

  1. Gursharan Singh Bahia

    अति सुन्दर कविता
    बहुत खूबसूरती से चित्र का वर्णन किया है
    आप का हिंदी कविता पर नियंत्रण उल्लेखनीय है

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