उस दिन यह अहसास हुआ कि जाने वाला कहीं नहीं जाता
आबिदा के सूफी कलाम और पंडित जसराज के राग सुनती हूं तो पिता जीवंत हो जाते हैं। सब कलाकारों, सूफियों, अवधूतों से मेरी पहचान करवाने वाले वही थे।
उस दिन यह अहसास हुआ कि जाने वाला कहीं नहीं जाता जारी >
आबिदा के सूफी कलाम और पंडित जसराज के राग सुनती हूं तो पिता जीवंत हो जाते हैं। सब कलाकारों, सूफियों, अवधूतों से मेरी पहचान करवाने वाले वही थे।
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This journey is a form of spiritual practice, where one encounters the fleeting nature of life and the timelessness of love.
Maghar: Kabir’s Legacy and the Quest for Truth जारी >
हम कबीर चाहे न बन पाएं, लेकिन हमें यह एहसास जरूर हो जाता है कि पूरी तरह डूब जाने से ही हम सुंदरता, संगीत, प्रेम और परम को समझ सकते हैं।
कबीर को जीने वाले लोग … जारी >